पंचायती राज के मामलों में जब दूसरे जनप्रतिनिधियों पर कीचड़ उछलता है तो कभी-कभी कीचड़ के छींटे खुद पर भी पड़ने लगते हैं। दुर्ग जिले में ताजा मामला सामने आया है। बहरहाल क्या सत्य और क्या झूठ है यह तो जांच में सामने आएगा लेकिन जब सरकार खुद की हो सत्ता खुद की हो तो सांच को भी आंच आने में देर नहीं लगती।
दुर्ग विकासखंड के ग्राम खाड़ा (रूदा) में पंचायत चुनाव के पहले ही सियासी हलचल तेज हो गई है। वर्तमान सरपंच श्रीमती हुल्ली बाई साहू के खिलाफ पूर्व सरपंच पति पूराण देशमुख एवं पूर्व सरपंच ताम्रध्वज साहू द्वारा लगातार शिकायत की जा रही है उक्त शिकायत की जांच प्रक्रिया विभिन्न न्यायालय, जिला, जनपद पंचायत में हो रही है।
इधर इन शिकायतों से पुराने मामले सामने भी आ रहे हैं पूर्व सरपंच ताम्रध्वज साहू पर 52587 रुपए तो वहीं 102 क्विंटल चावल सन 2004- 05 से बकाया होने की शिकायत आज दुर्ग कलेक्टर के जन चौपाल में की गई है। उक्त राशि और चावल को भी जमा करने की शिकायत की गई है। आपको बता दें कि 2004-05 में निर्माण कार्यों के लिए राशन सामग्री दी जाती थी। आरोप है कि पूर्व में तात्कालिक सरपंच ताम्रध्वज साहू ने पचरी निर्माण के लिए शासन से जारी हुई 102 क्विंटल चावल जो गरीब मजदूरों के लिए दिए जाने थे उसको भी गबन कर लिया था।
पूर्व सरपंच किरण देशमुख पर भी बकाया
आज सरपंच श्रीमती हुल्ली बाई और सचिव द्वारा दिए गए शिकायत पत्र में 2015 से 2020 तक सरपंच रही किरण देशमुख पति पुराण देशमुख पर भी 40105 रुपए बकाया होने की जानकारी सामने आई है। इस राशि को पूर्व में वसूली हेतु कार्रवाई के लिए अनुविभागीय अधिकारी आदि को पहले ही शिकायत की जा चुकी है । आपको बता दें कि इसके पूर्व कार्यकाल में तात्कालिक सरपंच श्रीमती किरण देशमुख ने साहू सामुदायिक भवन का निर्माण नीव निकालकर अधूरा छोड़ दिए जाने के बाद भी सामने आई है। जो आज पर्यंत अधूरा है। उक्त दोनों व्यक्तियों के विरुद्ध आज पोरा त्यौहार के दिन सरपंच अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर कार्यालय दुर्ग पहुंचे थे जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन दुर्ग जिलाधीश को सौंपा गया है।
बहरहाल मामले में आगे क्या होता है यह देखने वाली बात होगी लेकिन पंचायती राज में तात्कालिक जनप्रतिनिधि रहे लोगों द्वारा जब वर्तमान के जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हैं तो और भी गड़े मुर्दे सामने आ ही जाते हैं।
पंचायत चुनाव को लेकर आचार संहिता अब दो-तीन महीने ही रह गए हैं लेकिन गांव में राजनीतिक सरगर्मी अभी से तेज हो गई है।