स्पेशल रिपोर्ट (गुलाब देशमुख)
दुर्ग जिले में बीजेपी ने विधानसभा, लोकसभा चुनाव के बाद नगरीय निकाय एवं पंचायती चुनाव में अपना डंका बजाया है नगरीय निकायों में महापौर,अध्यक्ष शपथ ले रहे हैं तो वहीं अब पंचायत चुनाव के मध्य नजर जिला, जनपद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पर कब्जा करना मुख्य उद्देश्य है। एक पाटन विधानसभा को छोड़ दें तो सभी जगह बीजेपी के विधायक हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष सरस्वती बंजारे!
दुर्ग जिला पंचायत अध्यक्ष पद महिला एससी के लिए आरक्षित है बीजेपी के पास केवल एक कैंडिडेट है जो यह योग्यता रखती है वह है सरस्वती बंजारे जो जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 4 से आती हैं वहीं कांग्रेस के पास उषा सोनवानी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस चुनाव में प्रिया साहू का महत्वपूर्ण रोल है चाहे तो वह बराबरी पर इस अध्यक्ष के चुनाव को ला सकती है हालांकि बताया जाता है कि वह भाजपा खेमे में जा सकती हैं। फिलहाल 6 बीजेपी और 5 जिला पंचायत सदस्य कांग्रेस के पास हैं वही एक मात्र निर्दलीय प्रिया साहू जीती हैं। विधानसभा चुनाव के लिहाज से इस पंचायती चुनाव की तुलना करें तो कांग्रेस को बढ़त मिली है।
उपाध्यक्ष पद पर श्रद्धा साहू!!
बीजेपी उपाध्यक्ष पद के लिए श्रद्धा साहू का नाम आगे कर सकती हैं , तो वहीं कांग्रेस धमधा क्षेत्र या दुर्ग ग्रामीण से प्रतिनिधित्व की तलाश में है ऐसे में दालेश्वर साहू या आशा मिश्रा का नाम सामने आ सकता है। अध्यक्ष सीट महिला है तो उपाध्यक्ष के लिए सांसद विजय बघेल भी कोई नाम आगे बढ़ा सकते हैं, ऐसे में पाटन को फिर उपाध्यक्ष पद मिलने की संभावना है।

दुर्ग जनपद अध्यक्ष के लिए कई नाम की कतार
बीजेपी से दुर्ग जनपद अध्यक्ष के लिए मुख्यतः तीन दावेदार हैं जिसमें कुलेश्वरी देवांगन, संगीता साहू और संतोषी देशमुख रेस में है। कांग्रेस से मुख्य तौर पर लीलावती देशमुख का नाम सामने आया है लेकिन प्यारी निषाद का नाम सामने कभी भी आ सकता है। उपाध्यक्ष पद के लिए राकेश हिरवानी, अजीत चंद्राकर, गोकुल वर्मा, लोमस चंद्राकर, झमित गायकवाड, संतोष निषाद के नाम को लेकर चर्चा चल रही है।

अनुभवी की जरूरत
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में विधायक ललित चंद्राकर स्वयं अनुभवहीन विधायक हैं क्षेत्र में पिछले 1 सालों में जनता समस्याओं से जूझ रही है निराकरण भी नहीं के बराबर है। अपने क्षेत्र में दो जिला पंचायत सदस्य को चुनाव नहीं जीत पाए। अभी से उलट माहौल भी चल रहा है ऐसे में डमी कैंडिडेट को जनपद अध्यक्ष बनाने से एंटी इनकमबैन्सी और बढ़ सकता है। कई ऐसे सरपंच चुनाव जीत कर आए हैं जो बेहद अनुभवी हैं। अनेक नेता प्रबल पंचायती राज के जानकार हैं। ऐसे में किसी अनुभवी को जनपद अध्यक्ष बनाने से विधायक ललित चंद्राकर का बोझ हल्का हो सकता है। पावर को कंट्रोल में रखने की बजाय विकेंद्रीकरण करना समझदारी है। जो सामान्य सभा का बेहतर संचालन करे, मीडिया में बात रख सके, पार्टी को रिप्रेजेंट कर सके, पंचायती राज का अनुभव भी रखे, ऐसे अध्यक्ष की भी तलाश विधायक ललित चंद्राकर को करना होगा। दरअसल में जनपद पंचायत दुर्ग ग्रामीण और अहिवारा विधानसभा के पंचायत को मिलकर बना है सूत्र के मुताबिक फिलहाल जिला पंचायत डोमन लाल कोरसेवाड़ा के हाथ में है। तो वहीं संगठन स्तर पर ललित चंद्राकर को जनपद मिला हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों विधायको की पसंद के व्यक्ति को ही जिला और जनपद की कमान सौंपी जाएगी।
