गुलाब देशमुख @ उतई
इस परिवर्तन यात्रा से क्या वाकई में परिवर्तन हो जाएगा दुर्ग ग्रामीण में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा में कई कुर्सियां खाली नजर आई। मुख्य अतिथि के तौर पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास का आगमन हुआ वह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उनके भाषण से कार्यकर्ताओं का जोश ही खत्म हो गया, वे हिंदी और छत्तीसगढ़ी में भाषण दे रहे थे उन्होंने बघेल सरकार पर आरोप लगाए लेकिन स्थानीय मुद्दों को लेकर कुछ नही बोल पाए। कार्यक्रम में बीजेपी के पदाधिकारियों के अंदाज से कम भीड़ एकत्रित हो सका। सत्ता से दूर होने का नुकसान ये है कि आप सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल या कहें दुरुपयोग नहीं कर पाते।

सरकार के शराब वितरण के भरोसे जुट रही सभाओं में भीड़
राजनीतिक कार्यक्रमो में भीड़ जुटाना आसान नहीं है, कांग्रेस सरकार सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कहें या दुरुपयोग कर पंचायत, निगम पदाधिकारियों के बहाने भीड़ जुटा ले रहे हैं तो कई नेता बिना पौवा के कार्यकर्ता ले जाने में असमर्थ हो रहें हैं। बताया जा रहा है कि उतई बीजेपी के परिवर्तन यात्रा की आम सभा में कई लोग नशे में भी पहुंचे थे। इसका दावा धारा न्यूज़ नही करता लेकिन जमीनी सच्चाई भी यही है कई नेताओं को बिना पौवा और पैसे के कार्यकर्ता नही मिलते हैं। शराब है तो जनता भी सुलभ है। शराबबंदी का दूसरा नुकसान यह हो सकता है कि ऐसे राजनीतिक कार्यक्रमो में भीड़ जुटा पाना भी असंभव होगा।

भाजपा समर्थित सरपंच गायब रहे
आपको बता दे दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ और जीत गए वो सरपंच यह कहते हुए कि विकास के लिए सत्ता के साथ मिलकर काम करना होता है इस सोच के चलते कांग्रेस सरकार या कहें स्थानीय विधायक मंत्री ताम्रध्वज साहू की ओर झुकाव कुछ ज्यादा हो गया है जिसके चलते बीजेपी की सभा में भी भीड़ नही जुट पाई। इससे भी बीजेपी की परिवर्तन यात्रा भी प्रभावित हो रही है। जो चुनाव में भी नुकसान पहुंचा सकता है। इन पर जानकर भी बीजेपी नेता कार्रवाई भी नहीं कर पा रहे हैं।


टिकट के दावेदार भी नहीं जुटा सके भीड़, रथ भी नहीं देख पाए कार्यकर्ता
परिवर्तन यात्रा के लिए बड़े-बड़े बैनर पोस्टर विज्ञापन जारी किए गए हैं लाखों रुपए इस पर खर्च किया गया लेकिन जमीनी हकीकत यह रही की जो टिकट के दावेदार हैं जो हवा में उड़ रहे थे उन्हें उतई के आमसभा में दिख गया कि जिस परिवर्तन की बात हो रही है वह सिर्फ हवा हवाई है। बैनर पोस्टर में भी गुटबाजी साफ झलक रही थी। कुछ नेताओं को तो अपनी ही फोटो लगवाने का शौक चढ़ा है, कार्यक्रम की सफलता कोई मायने नहीं रखती जैसे तैसे टिकट मिल जाए बस। दर्शक दीर्घा रथ का इंतजार करती रही लेकिन रथ नहीं देख पाए कार्यक्रम देखें तो फ्लॉप साबित हुआ।
