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कका’ का जलवा कायम हैः सर्वे में भूपेश बघेल के कामकाज से जनता खुश, सरकार के योजनाओं ने लोगों के घर में लाई समृद्धि, लोकप्रियता में भी 5 राज्यों के CM से आगे…

रायपुर. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के पांच साल होने जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर कहीं भी एंटी इंकमबैंसी का असर नजर नहीं आ रहा. लोग भूपेश सरकार से सबसे ज्यादा खुश हैं. तीन चौथाई मतदाता भूपेश बघेल से खुश हैं. 6 राज्यों में जहां चुनाव होने वाले हैं, उनमें सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल उभरे हैं. यह जानकारी आईएएनएस सी वोटर एंगर इंडेक्स द्वारा किये गये ताजा सर्वे से मिली है. इंडेक्स में मतदाताओं से पूछा गया कि, क्या वे अपने मुख्यमंत्री के कामकाज से नाराज हैं. छत्तीसगढ़ में तीन चौथाई से अधिक नागरिकों ने कहा कि, कतई नहीं, मुख्यमंत्री का काम बढ़िया है नाराजगी का सवाल ही नहीं है. इस तरह से एंगर इंडेक्स अथवा क्रोध सूचकांक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नाराज लोगों की संख्या 25.4 प्रतिशत रही जो छह राज्यों में सबसे कम है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दूसरे स्थान पर रहे, उनसे नाराज लोगों का प्रतिशत 27 है. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का स्कोर 35.1 प्रतिशत है. मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा का स्कोर 37.1 प्रतिशत है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का स्कोर 49.2 प्रतिशत है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के प्रति सबसे ज्यादा गुस्सा नागरिकों ने जताया. उनका स्कोर 50.2 प्रतिशत रहा.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति जनता में नाराजगी नहीं होने का बड़ा कारण यह है कि, जो उन्होंने वायदे किए थे वे पहले ही दिन से निभाए. किसानों को तब बहुत आश्चर्य हुआ, जब पहले ही दिन उन्होंने कर्जमाफी की घोषणा कर दी और धान का 2500 रुपए दाम देना आरंभ कर दिया. किसानों के लिए बहुत खुशनुमा क्षण था, क्योंकि बरसों इंतजार के बाद उनकी फसल का उचित मूल्य उन्हें मिला था.

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़िया अस्मिता भी जगाई, लोगों को इस बात का गहरा गुस्सा था कि छत्तीसगढ़ राज्य तो बन गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा भी नदारद है और छत्तीसगढ़ के त्योहार, पर्व, लोकाचार सब हाशिए में है. भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ महतारी की बात कही. राजगीत शुरू कराया. इसका बहुत गहरा असर जमीनी स्तर पर दिख रहा है. लोगों का स्वाभिमान बढ़ा है.

भूपेश बघेल की लोगों से गहरी आत्मीयता भी इसकी वजह बनी है. वे जहां जाते हैं, लोग कका अभी जिंदा है नारे लगाते हैं. भेंट मुलाकात के दौरान महिला-पुरुष बेहिचक मुख्यमंत्री से अपनी मांग रखते हैं. उन्हें बताते हैं कि, कैसे उनकी योजनाओं ने उनके घर में समृद्धि ला दी.

नाराजगी की गुंजाइश तब होती है, जब संवाद नहीं हो पाता. भूपेश बघेल ने हर मुमकिन संवाद लोगों से किया है. हर वर्ग से संवाद किया है. वे आदिवासियों के पास गए, किसानों के पास गए, अनुसूचित जातियों के पास गए, युवाओं के पास गए. सबसे सहज सुलभ मुख्यमंत्री होने की वजह से लोग उनसे बहुत रुचि से संवाद करते हैं.

भूपेश बघेल का विकास मॉडल भी उनकी कामयाबी की बड़ी वजह है. उन्होंने अपनी डीबीटी योजनाओं से लोगों के जेब में सीधे राशि पहुंचाई है. किसी तरह से कोई मध्यस्थ बीच में नहीं. पौने दो लाख करोड़ एक बहुत बड़ी राशि है, जो सीधे नागरिकों के खाते में गई. इतनी बड़ी राशि जब आम जनता के पास गई तो स्वाभाविक रूप से बाजार भी गुलजार रहा. कोविड के समय में जब देश भर के बाजारों में मंदी छाई थी, छत्तीसगढ़ में व्यापार बेहतर स्थिति में था. कोविड के समय मुख्यमंत्री ने जो बढ़िया प्रबंधन किया, उससे भी यह बात सामने आई कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की कमान एक ऐसे योग्य व्यक्ति के हाथ में है, जिसमें प्रबंधन की गहरी क्षमता है.

युवावर्ग के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में जो भूमिका भूपेश सरकार की रही, उससे भी युवाओं में ऊर्जा बनी रही. 40 हजार से अधिक सरकारी नियुक्तियां, निजी क्षेत्र में हजारों रोजगार, रीपा आदि के माध्यम से उद्यम का मौका देकर युवाओं के लिए रोजगार सृजित किए.

किसानों के लिए ये पांच वर्ष बहुत खुशहाल रहे. मानसून भी अच्छा रहा. मुख्यमंत्री की नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई. इन योजनाओं से 40 लाख लोग गरीबी के दायरे से बाहर आ गए. सबसे ज्यादा असंतोष आर्थिक कारणों से उपजता है और इन 40 लाख लोगों ने पहली बार आत्मसम्मान के साथ जीवन की शुरुआत की है.

आदिवासी इलाकों में लघु वनोपज की खरीदी की बेहतर नीति, तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए बढ़िया अवसर, नक्सल मोर्चे पर कामयाबी ऐसी बातें रहीं, जिसने जनजातियों का दिल छू लिया. अच्छी नवाचारी नीतियां, लोगों से बेहतर संवाद और आर्थिक विकास का सुराजी माडल ऐसी विशेषताएं हैं, जिसने बड़े पैमाने पर जमीनी बदलाव लाए, यही वजह है कि सर्वे के इतने अच्छे नतीजे भूपेश बघेल के पक्ष में आए.

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Author: dhaaranews

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