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सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को लेना पड़ रहा है ब्लैक बोर्ड पर एग्जाम

  1. सरकारी स्कूलों में परीक्षा (आकलन) बनी मजाक
  2. शिक्षक बोर्ड पर लिखकर परीक्षा लेने मजबूर
    जिम्मेदार सभी अधिकारी मौन
  3. मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से करेंगे शिकायत

छत्तीसगढ़ राज्य में एक तरफ सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुल गयें जहां निजी संस्थानों के बच्चे भी एडमिशन लेकर विद्या अध्ययन कर रहे हैं तो वहीं सरकारी हिंदी माध्यम स्कूलों में परिणाम ठीक इसके विपरित है क्योंकि दर्ज संख्या लगातार घट रही है। फर्क साफ है कि जहां सुविधाएं होंगी वहां लोग खिंचे चले जाते हैं। एक तरफ सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है तो वहीं सरकारी हिंदी माध्यम स्कूलों में स्थिति इसके विपरीत है?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में जहां गरीब- मध्यम परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं उनके साथ परीक्षा लेने के नाम पर मजाक बनाया जा रहा है। जिस पर सभी अधिकारी मौन हैं। और दुःख की बात है कि इसका कोई सूध लेने वाला नहीं है। सभी जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठे हुए हैं क्योंकि राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, रायपुर द्वारा त्रैमासिक आकलन का प्रश्न पत्र तैयार तो कराया गया है लेकिन प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं कराया गया है। जिससे सरकारी स्कूल के शिक्षक परीक्षा बोर्ड पर लेने विवश हैं क्योंकि उनके पास फंड का अभाव है और परीक्षा के लिए कोई प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं कराया गया है। SCERT द्वारा उपलब्ध कराया गया प्रश्न पत्र उच्च गुणवत्ता के हैं लेकिन प्रश्न पत्र हार्ड कापी में न होने से बार- बार शिक्षकों को बोर्ड पर लिखकर पेपर लेना पड़ता है जिससे 2 व 2:30 घंटे का होने वाला पेपर 3 से 4 घंटे ले लेता है। अब आप ही विचार करें कि क्या परीक्षा के नाम सरकारी स्कूलों में मजाक हो रहा है या नहीं?

 

बोर्ड पर परीक्षा लेने से शिक्षकों के मन में भारी आक्रोश

त्रैमासिक आकलन के लिए हार्ड कॉपी में प्रश्न पत्र उपलब्ध न कराने से छत्तीसगढ़ के प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों में भारी आक्रोश है लेकिन उनका यह आक्रोश छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों के लिए काफी नहीं है क्योंकि उनके इस आक्रोश से प्रश्न पत्र हार्ड कापी में उपलब्ध नहीं हो सकता। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपने ही कापी में प्रश्नों के उत्तर लिखकर जमा करते हैं। जिसका कोई सूध लेने वाला नहीं है। शिक्षक बोर्ड पर बार – बार प्रश्न लिखते जाते हैं और बच्चों के लिखते तक इंतजार करते हैं और जब बच्चे प्रश्न उतार लेते हैं तब शिक्षक बोर्ड पर प्रश्नों को दोबारा लिखते हैं। यह क्रम चलते रहता है। इसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है क्योंकि शिक्षकों का मानना है कि परीक्षा, परीक्षा जैसी होनी चाहिए लेकिन इस ओर किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान नहीं जा रहा है। शिक्षकों में यह आक्रोश और भी बढ़ रहा है क्योंकि इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ है जहां बच्चों को प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका उपलब्ध न कराया गया हो? शिक्षक सोचने को मजबूर हैं कि आखिर सरकारी स्कूलों में हार्ड कापी में प्रश्न पत्र उपलब्ध क्यों नहीं करा जा रहा है?

हार्ड कापी में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने की मांग
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों के शिक्षक परीक्षा हेतु प्रश्न पत्र हेतु हार्ड कापी की मांग मौखिक तौर पर कर रहे हैं लेकिन मौखिक तौर पर मांग करने से अब तक इस दिशा में कोई भी कार्यवाही नहीं हो पाया है जिससे बोर्ड पर लिखकर परीक्षा लेने की नई पद्धति शुरू हो गई है जिससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है क्योंकि परीक्षा, परीक्षा जैसी हो तो बेहतर है लेकिन परीक्षा के नाम पर खाना पूर्ति करना उचित नहीं।

मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से करेंगे शिकायत
छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक संघ द्वारा शिक्षा विभाग के इस भयानक सच की शिकायत बहुत ही जल्द मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से की जायेगी क्योंकि सरकारी स्कूलों में बच्चों के साथ परीक्षा के नाम पर खाना पूर्ति हो रहा है जिसे सिस्टमेटिक करना बहुत ही जरूरी है। प्रधान पाठक संघ सभी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग करेगा क्योंकि पिछले 2-3 वर्षों से परीक्षा बोर्ड पर लेने का चलन चल रहा है जो कि उचित नहीं।

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Author: dhaaranews

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