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हाईकोर्ट से जमानत, जेल से रिहाई हुई तो समर्थकों ने भी किया ग्रैंड वेलकम। दुर्ग ग्रामीण की फिज़ा बदली

गुलाब @ दुर्ग ग्रामीण

प्रदेश भाजपा के कद्दावर और सहकारिता के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके अविभाजित दुर्ग जिले के प्रीतपाल बेलचंदन के रिहाई ने दुर्ग ग्रामीण में राजनीतिक उथल-पुथल मचाई है। सूबे की राजनीति में कल का दिन अप्रत्याशित रूप से यकीन करने लायक तो नहीं था। लगभग 65 दिन पहले जिस कद्दावर नेता प्रीतपाल बेलचंदन की गिरफ्तारी ने कई सारे सवालों को जन्म दिया तो वही अब जमानत के बाद मानो जवाब मिल गया हो।
विदित हो कि प्रीतपाल बेलचंदन को दुर्ग सिटी कोतवाली पुलिस ने कथित तौर पर जिला सहकारी बैंक में पद पर रहते हुए धोखाधड़ी सहित कुछ मामलों में उन्हें आरोपी बनाकर जेल भेज दिया था।
उस समय उनके समर्थको ने इसे एक तरफा कार्रवाई बताते हुए बदले और प्रतिशोध की राजनीति भी बताया था।
दरअसल में प्रीतपाल बेलचंदन दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में अप्रत्याशित रूप से सत्ता सरकार के विरुद्ध भी मुखर हो गए थे और पार्टी के दिए गए जिम्मेदारियां को पूरी भी कर रहे थे। आम चर्चा है कि उनके सक्रियता से राज्य सरकार भी बौखलाई हुई थी।
जानकारी के मुताबिक गोदाम निर्माण, अपने लोगों को बैंकों मैं ऋण के ब्याज पर अनुदान सहित कथित तौर पर बैंक को धोखाधड़ी के मामले में लगभग 65 दिन पहले दुर्ग पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेशकर जेल भेज दिया था।

कुर्मी समाज को भी उम्मीद
विदित हो कि इस क्षेत्र से कांग्रेस, बीजेपी आमतौर पर साहू और कुर्मी समाज से ही प्रत्याशी उतारते आई हैं,  2013 व 18 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने साहू समाज से टिकट दिया 2008 में स्वयं प्रीतपाल बेलचंदन उम्मीदवार थे,तो वहीं कांग्रेस ने 2003, 2008 में कुर्मी प्रत्याशी तो 2018 में साहू समाज से क्षेत्र में प्रत्याशी उतारा।
इस बार दिल्लीवार कुर्मी क्षत्रिय समाज भी एक कद्दावर प्रत्याशी जीताने के लिए बेताब है, बीजेपी से एक बेहतर कैंडिडेट के विकल्प के तौर पर प्रीतपाल बेलचंदन को देख रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है।
पिछले विधानसभा में दिल्लीवार कुर्मी समाज के केशव बंटी हरमुख की दावेदारी पर आस लगाए थे लेकिन राष्ट्रीय पार्टियों ने पिछली बार भी समाज की अनदेखी कर दी थी। इसके बाद में दिल्लीवार समाज के प्रत्याशी बतौर चुम्मन देशमुख ने फॉर्म भरा और चुनावी मैदान में ज्यादा वोट नहीं बटोर पाए। इसलिए समाज भी राष्ट्रीय पार्टी से टिकट चाह रही है जिसमे बीजेपी से सबसे प्रमुख नाम प्रीतपाल का है।
इस बार समाज के कई लोगों ने दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव जिले से भी दावेदारी भी ठोकी है। ओवरऑल दुर्ग ग्रामीण में समाज प्रीतपाल बेलचंदन के लिए पहले भी आश्वस्त था लेकिन ऐन मौके पर गिरफ्तारी से समाज को भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए अदद चेहरे की तलाश थी, आज दिल्लीवार प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र हरमुख की मौजूदगी व अन्य मुख्य पदाधिकारियों की उपस्थिति ने भी इस बात को भी बल दे दिया।

फाइल फुटेज

उमड़ गया जन सैलाब, जेल से रिहा होने पर लोगों ने किया स्वागत
कल हाईकोर्ट में उक्त मामले पर सुनवाई करते हुए जमानत याचिका स्वीकार करते हुए जमानत मंजूर कर ली थी। आज उनके रिहाई की खबर मिलते ही क्षेत्र के लोग केंद्रीय जेल दुर्ग पहुंच गए। उनके समर्थको ने फूल माला और जयकारे सहित पटाखों से भी स्वागत किया। इस दौरान कुछ देर के लिए गौरव पथ मार्ग (जेल रोड) कुछ देर के लिए अवरुद्ध भी हुआ।
क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी भी पहुंचे
प्रीतपाल बेलचंदन दुर्ग जिले के मंझे हुए नेता है उनकी स्वीकार्यता पूरे क्षेत्र में है। इसका प्रमाण यह है कि आज जिले भर के अनेक सहकारिता क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता, शुभचिंतक क्षेत्रीय व स्थानीय जनप्रतिनिधि पंच, सरपंच, पार्षद से लेकर सैकड़ो की तादाद में कई गांव के लोग उपस्थित रहे।
कुछ लोगों ने उनके मामले पर चर्चा करने पर कहने लगे जो व्यक्ति घोटाला करेगा उसके साथ बिना सत्ता सरकार के भी जेल में ही सैकड़ो लोग रिहाई की स्वागत में पहुंच गए हैं यह उनके निर्दोष होने का प्रमाण है। राजनीतिक कारणों से फसाया गया।

दुर्ग ,बालोद, बेमेतरा के सीट भी होती है प्रभावित
भारतीय जनता पार्टी को दुर्ग बालोद बेमेतरा में पिछले विधानसभा में मुंह की खानी पड़ी थी। दुर्ग ग्रामीण में जागेश्वर साहू को प्रत्याशी जरूर बनाया गया लेकिन लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया। खुद उनकी पार्टी के कार्यकर्ता स्थानीय नेता को दावेदारी नहीं मिलने पर भारी नाराजगी के कारण शिकस्त झेलनी पड़ी थी, अगर प्रीतपाल बेलचंदन को भारतीय जनता पार्टी टिकट देती है तो वे लगभग 12 सीटों को डायरेक्ट प्रभावित करेंगे इससे बीजेपी को ऑटोमेटेकली इस संभाग में बढ़त बनाने में मदद मिलेगी। बेलचंदन के पॉजिटिव प्वाइंट स्थानीय, गृह मंत्री के टक्कर के नेता, 2008 के विधानसभा चुनाव में मिली लोकप्रियता, कुर्मी समाज से हैं,गांव-गांव में सहकारिता से जुड़े उनके निजी लोग और क्षेत्र में सर्वमान्य नेता। सहकारिता में रहते हुए उन्होंने अंतिम व्यक्ति तक ही पहुंच नहीं बनाई है बल्कि वे बीजेपी के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं। वैसे भी दुर्ग ग्रामीण विधानसभा को बीजेपी जीतना अगर चाहे भी तो बिना प्रीतपाल बेलचंदन के संभव ही नहीं है। उनकी रिहाई के वक्त कई कार्यकर्ताओं ने तो आपस में बातचीत करते हुए ताम्रध्वज साहू की विदाई तय कहने से नहीं चूके।

प्रीतपाल बेलचंदन ने कहा ,सहकारिता को बर्बाद करने पर तुली है कांग्रेस
जेल से रिहा होने के बाद उनके समर्थकों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया उसके बाद उन्होंने मीडिया को दिए बयान में कहा कि राज्य की भूपेश बघेल सरकार सहकारी संस्थानों में चुनाव नहीं कर, स्वयंभू मनोनीत और प्राधिकृत अध्यक्ष बनाकर सहकारिता का गला घोट रही है, सहकारिता को बर्बाद करने पर तुली हुई है हमारी अंतिम सांस तक सहकारिता और किसानों के उद्धार के लिए लड़ाई जारी रहेगी।
बहरहाल वर्तमान में दुर्ग ग्रामीण की ही बात करें तो मंत्री ताम्रध्वज साहू के खिलाफ लड़ सकने वाला अगर कोई बीजेपी नेता है तो वह सर्वमान्य तौर पर प्रीतपाल बेलचंदन ही है जो सामाजिक जातिगत राजनीतिक में न केवल फिट बैठते हैं बल्कि तजुर्बे और राजनीतिक कौशल में भी माहिर होने के साथ जमीनी पकड़ भी मजबूत है। इसके बाद भी भाजपा अगर किसी अन्य को दुर्ग ग्रामीण में उतारने का रिस्क लेती है तो रिस्क तो रिस्क ही होगा।

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Author: dhaaranews

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