Gulab @ Risali
रिसाली नगर निगम में जिस क्षेत्र में आचार संहिता उल्लंघन के मामले को धारा न्यूज़ वेब पोर्टल उठा रही है केवल उसी क्षेत्र में रिसाली नगर निगम आनन फानन में सरकार की योजनाओं और नेताओं के फोटो पर ही पुताई कर रही है और पोस्टर्स को ढक रही है लेकिन जिन क्षेत्रों की खबरें प्रकाशित नहीं हो रही है उसे रिसाली नगर निगम छूट दे रही है निर्वाचन आयोग अब तक मामले की संज्ञान नहीं ले पाया है ऐसा प्रतीत होता है।
क्योंकि फिलहाल ताजा मामला को पीडब्ल्यूडी प्रभारी अनुप ड़े के वार्ड का है जहां पर सरकार की योजनाओं के वाल राइटिंग पर अभी तक नगर निगम की नजर नहीं गई है या कहें नगर निगम ने आंखें मूंद ली है।
महापौर परिषद के PWD प्रभारी अनूप डे को प्रचार में कोई दिक्कत न हो इसका ध्यान प्रशासन में बैठे अधिकारी रख रहे हैं उनके क्षेत्र में संचालित राशन दुकान के आसपास भूपेश बघेल के पोस्टर चिपके हुए हैं वहीं पार्षद अनूप डे के वार्ड कार्यालय के पीछे तरफ भी पोस्टर्स, बैनर को अभी तक रिसाली नगर निगम ढक नहीं पाया है।
लोकार्पण ,भूमि पूजन के शिलालेखों को भी नहीं ढका गया है ऐसा लगता है कि रिसाली नगर निगम में हुए ढाई सौ करोड़ के विकास के बाद रद्दी खरीदने के पैसे तक नहीं बचे हैं। कई जगहों पर निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार न्यूज़ पेपर व अन्य कागजों से पोस्टर बैनर फोटो आदि को ढका जा रहा है लेकिन रिसाली नगर निगम कहीं पर छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं को मिटा ही नहीं रही है,बल्कि फोटो पर कलर से पुताई कर रही है।
सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का ठेका रिसाली नगर निगम के पास
वैसे तो यह कहना उचित नहीं होगा लेकिन रिसाली नगर निगम अभी तक अपने वार्डों में संबंधित बीएलओ आंगनवाड़ी वर्कर्स को भी अगर रंग रोगन उपलब्ध करा दे तो खोज खोज कर पूरे क्षेत्र में ऐसे संहिता का परिपालन करवा सकती हैं लेकिन शायद योजनाओं का प्रचार प्रसार करने का ठेका रिसाली नगर निगम ने लेकर रखा है जिसकी वजह से निर्वाचन आयोग के निर्देशों का परिपालन करना यहां के मातहत अधिकारी उचित नहीं समझते।
ऐसे में दुर्ग कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा को निर्वाचन आयोग को बता देना चाहिए की रिसाली नगर निगम आयुक्त आशीष देवांगन उनके नियंत्रण में नहीं है ना उनकी बात मान रहे हैं। यह इस बात पर भी मुहर है कि भाजपा ने आचार संहिता से पहले कई आंदोलन में नगर निगम आयुक्त को कांग्रेस का एजेंट भी बताया है। जो प्रमाणित प्रतीत होता है यह अन्य दलों के लिए खतरे की घंटी भी है यहां पर कांग्रेस की जीत लगभग इसी वजह से सुनिश्चित मानी जा रही है।