अब धुंधली पिक्चर हुई साफ जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 में किससे आशा!
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पंचायत चुनाव में दुर्ग ब्लॉक के नामांकन वापसी के आखिरी दिन में चुनाव चिन्ह का आवंटन हुआ इसके बाद जो प्रत्याशी मैदान में है उनकी स्थिति स्पष्ट हुई और जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। इस चुनाव में जातिगत समीकरण बड़ा ही रोचक है और अनारक्षित महिला वाली सीट में कांग्रेस ने अनारक्षित कोटे से कोलिहापुरी निवासी आशा विक्की मिश्रा को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने क्षेत्र की वर्तमान जिला पंचायत सदस्य ग्राम झोला की माया बेलचंदन को अधिकृत घोषित कर मैदान में उतार दिया है। वहीं कथित तौर पर भाजपा से ही समर्थित उम्मीदवार भोथली की आशा सुरेश साहू भी मैदान में है।
जातिगत समीकरण समझें
भारतीय जनता पार्टी ने अपने विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले जिला पंचायत क्षेत्र में दो जगह कुर्मी प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं तो वहीं एक स्थान पर साहू समाज को जगह दी है।
कांग्रेस ने 6 नंबर में साहू समाज,7 नंबर से सामान्य तो वहीं 8 नंबर से कुर्मी प्रत्याशी को तरजीह दी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि क्षेत्र क्रमांक 7 में कोई भी चंद्रनाहु कुर्मी समाज से प्रत्याशी नहीं है। इस समाज से विधायक ललित चंद्राकर भी आते हैं। सूबे में दबी जुबान से लोग कहते हैं कि कुर्मी समाज को विधायक ललित ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं लेकिन अभी हाल ही में क्षेत्र क्रमांक 7 के प्रत्याशी को अधिकृत करने में खूब विवाद हुआ है ऐसी चर्चा है जिसके कारण भोथली सरपंच सुरेश साहू की पत्नी आशा साहू भी मैदान में नजर आ रही है ऐसा बताया जा रहा है कि विधायक खेमे से ही बैक साइड से समर्थन दिया जा रहा है। जिसकी पुष्टि धारा न्यूज़ नहीं करता है।
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खैर यदि ऐसा ही रहा तो कांग्रेस को सीधा फायदा होते दिख रहा है। इसका कारण यह है कि बीजेपी से दो उम्मीदवार खड़े हैं हालांकि बीजेपी अधिकृत माया बेलचंदन है चर्चा यह भी है कि माया बेलचंदन यह टिकट ऊपर से लाई है जिस पर क्षेत्र में हल्ला भी कम नहीं है।
आशा vs आशा हो सकता है मुकाबला तब!
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 7 उलटफेर करने वाला क्षेत्र है यहां कुर्मी और साहू वोटर बड़ा रोल निभाते हैं। पिछली बार भाजपा अधिकृत माया बेलचंदन ने जीत हासिल की थी तो वहीं इसके पहले बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे बीजेपी नेता प्रितपाल बेलचंदन की पत्नी मोक्ष बेलचंदन चुनाव हार गई थी कांग्रेस 1 सीट इसी को हारी थी बाकी 2 सीट कांग्रेस के पाले में गया था। माया बेलचंदन ने तब क्षेत्र बदलकर चुनाव लड़ी और दो के बीच में तीसरे को फायदा हुआ था।
स्वाभाविक रूप से पंचायत चुनाव में एक बार जीतने वाले के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी होती है क्षेत्र में माया बेलचंदन का कहीं ना कहीं विरोध के स्वर हैं इसको नकारा नहीं जा सकता, पार्टी से पंगे की बात भी धीरे धीरे सार्वजनिक हो रही है। कांग्रेस के आशा विक्की मिश्रा बहुत पहले से तैयारी कर रहे थे नया चेहरा होने के कारण उन्हें लोग हाथों हाथ ले रहे हैं। विक्की मिश्रा तेज तर्रार नेता है क्षेत्र में गलत के खिलाफ लड़ने में माहिर नेता कांग्रेस में फिलहाल 2 से 3 है उनमें इनका भी नाम है जिसका फायदा उनको मिल रहा है। कांग्रेस में उन्हें योद्धा (फाइटर) कहा जाता है। वहीं बीजेपी नेता सुरेश साहू भी गांव के सरपंच पद पर है उन्हें पूर्व मंत्री रमशिला साहू के बेहद अजीज में गिना जाता है पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के कार्यकाल में भी सरपंच रहे सुरेश साहू उनसे भी तालमेल करते काम किए हैं लेकिन नदी के इस पार उनको बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी जिस क्षेत्र से वे आते हैं वहां कट्टर कांग्रेसी बेल्ट है जिसका नुकसान आशा साहू को हो सकता है।
बहरहाल फिलहाल बीजेपी नेत्री माया बेलचंदन कितना अपने समर्थकों को साधेगी यह देखने वाली बात होगी पिछले 5 साल में क्षेत्र में जनसंपर्क बनाने में वह सफल रही है या नहीं इस चुनाव में पता चलेगा।
क्षेत्र के राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह मुकाबला आशा वर्सेस आशा हो गया है लेकिन चुनाव अनिश्चितताओं का खेल है कुछ भी कहना फिलहाल तो संभव नहीं है लेकिन आशा विक्की मिश्रा कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है।
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