- “कुथरेल में प्रदूषण का कहर: जनता की सेहत के साथ खिलवाड़”
- “अमूल और बी ई सी फूड कंपनी की लापरवाही, निवासियों को खतरा”

दुर्ग ग्रामीण के ग्राम कुथरेल में अमूल दूध की कंपनी और बी ई सी फूड कंपनी की गतिविधियों ने आस पास के निवासियों के लिए जीवन को खतरनाक बना दिया है। बारहों महीने कंपनी से निकलने वाला गंदा पानी और दूषित हवा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हैं। अमूल दूध की कंपनी से निकलने वाला गंदा पानी आस पास के खेतों और तालाबों में पहुंचकर जल प्रदूषण का कारण बन रहा है, जिससे किसानों की फसलें खराब और तालाब का पानी दूषित हो रहा है। इसी तरह, बी ई सी फूड कंपनी से निकलने वाली दूषित हवा आस पास के गांव के निवासियों और खेल मैदान के बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
विशेष रूप से, कुथरेल के शुक्ला तालाब जिसमे लोग निस्तारी के लिए उपयोग लोग करते है, उस तालाब में बीईसी फूड्स और अमूल दूध कंपनी का गंदा पानी मैनेजर अमितेश मिश्रा के निर्देश पर डाला जा रहा है। यह बहुत ही गंभीर मामला है, क्योंकि इस तालाब का पानी लोगों के लिए निस्तारी एवम किसानों के खेतो के सिंचाई के लिए भी उपयोग किया जाता है।

दुर्गंध से लोग परेशान, वेस्ट मटेरियल का निष्पादन सही नहीं
मैनेजर को ग्राम कुथरेल के पंचायत बुलाकर जनप्रतिनिधियों के द्वारा पूर्व में भी समझाइस दी गई थी, लेकिन फिर भी कंपनी अपना वेस्टेज सामान आस पास के गाँव में कहीं भी फेक कर चला जाता है, जिसका दुर्गन्ध पूरा गाँव झेलता है। यह मामला न केवल ग्रामीणों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए खतरनाक है।
इस मामले में खाद्य, उद्योग और पर्यावरण विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है। विभागो को इनकी जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है।
हमें उम्मीद है कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस मामले को गंभीरता से लेंगे और जल्द से जल्द कार्रवाई करेंगे। क्या फूड विभाग की लापरवाही से जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं हो रहा है? क्या कंपनियों के हितों को जनता की सेहत से ऊपर रखा जा रहा है? ये सवाल उठते हैं जब हम देखते हैं कि कैसे कंपनियों की गतिविधियों को नियंत्रित करने में विभाग असफल है।
