दुर्ग जिले के ग्राम चिंगरी में किए गए अवैध कब्जे और उसके हटाने के आदेश के बावजूद परिपालन नहीं होने के फल स्वरुप गांव के युवकों ने दुर्ग के तहसील परिसर में धरना दिया इस दौरान युवकों ने प्रशासन को पूर्व में सूचना दी थी धरना प्रारंभ करते ही पुलिस प्रशासन पहुंच गया और अनुमति नहीं है करके तुरंत ज्ञापन सौंपने कहा गया।
युवकों ने ज्ञापन सौंपकर तहसील परिसर में ही दिन गुजारे। इस बीच नायब तहसीलदार ढाल सिंह बिसेन ने सरपंच पुष्पा देशमुख और सचिव कुलेश्वर साहू को बुलाया इस दौरान सचिव कुलेश्वर साहू ने बताया कि गांव के पंच कब्जा हटवाने के प्रस्ताव में साथ नहीं दे रहे हैं वही ग्रामीण युवकों ने कहा कि इस स्थिति में पंचायत बॉडी को भंग कर दिया जाए और सरपंच इस्तीफा दे दे। दोनों पक्ष को सुनने पर तहसीलदार ढाल सिंह बिसेन कोई फैसला नहीं कर पाए इसके बाद वे एसडीएम के पास लेकर गए इस दौरान एसडीएम ने न्यायालय के आदेश को परिपालन करने के लिए पंचायत को जिम्मेदार ठहराया और युवकों को कहा कि कब्जा तुम लोग का भी हटेगा तो युवको ने तत्काल सहमति दी और कहा कि अगर कब्जा है तो हमसे शुरूवात कर लो। इसके बाद एसडीएम मुकेश रावटे सरपंच और सचिव को 15 दोनों का समय दे दिया इस पर युवकों ने आपत्ति की और कहा कि जब पहले ही प्रस्ताव हो गया है न्यायालय से आदेश हो गया है तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है इस पर एसडीएम मुकेश रावटे ने युवकों को कहा कि तुम लोग सरपंच बन जाओ और कब्जा हटा लो, युवक इस बात पर नाराज होकर कहा कि आपसे न्याय की उम्मीद थी।
सोशल मीडिया में जारी किया गया पोस्ट
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उक्त युवकों ने कहा कि एसडीएम न्यायालय ने उस फैसले को यथावत रखा है लेकिन कार्रवाई करने में कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में युवकों ने फैसला किया कि भू माफियाओं को संरक्षण देने वाले, अवैध प्लाटिंग में पार्टनरशिप करने वाले अधिकारी जो एक तरफा फैसला दे रहे हैं और ऊंची जुबान में बात भी कर रहे हैं। बहुत समय से एक ही जगह पर जमे एसडीएम मुकेश रावटे अपना कर्तव्य भूल गए हैं उनके विरुद्ध EOW में शिकायत की जाएगी और पुतला बनाकर जूता चप्पल पहनाकर जूता मारा जाएगा, जिसके लिए बकायदा प्रशासन को पूर्व सूचना दी जाएगी। युवकों ने कहा कि ऐसे में राजस्व प्रकरण में लगातार वृद्धि होती रहेगी। उनके तबादले की मांग के साथ इंक्रीमेंट रोकने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री से भी शिकायत की जाएगी।
बहरहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय में उक्त युवक प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकते हैं उनकी मांगों को जिला प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा है जिसका परिणाम प्रशासन के लिए विपरीत भी हो सकता है।