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टूटे नाली को युवाओं ने बताया विष्णु सरकार के सुशासन पर धब्बा, पीएमओ से जांच, FIR और एस्टीमेट के अनुसार निर्माण की मांग

गुलाब देशमुख(दुर्ग) । सरकारी पैसों के बंदरबाट का सपना सिस्टम में बैठे हर भ्रष्ट को शायद हर रात आती होगी। अपने साइन के बदले पैसे लेने वाले अधिकारियों की ड्यूटी तो सोमवार से शुक्रवार ही होती है पर जहां पैसा मिले वहां शनिवार और रविवार को भी ऐसे लोग छोड़ते नही।

खैर छोड़िए बात करते हैं दुर्ग विकासखंड के ग्राम चिंगरी की जो अपने अवैध कब्जों की वजह से सुर्खियों में तो है ही भ्रष्टाचार की वजह से भी अब सुर्खियों में आ गया है। यहां 17 लाख रुपए की नाली भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के तहत उक्त निर्माण किया जा रहा था जहां 15 दिन भी नहीं हुए नवनिर्मित नाली जो भरभराकर ढह गया।

नाली जब टूटा

जनदर्शन में शिकायत के 35 दिन बाद जांच हुआ अपलोड
कलेक्टर जनदर्शन में 29 जुलाई को इस मामले पर शिकायत हुई थी, 17 अगस्त शनिवार को उक्त प्रकरण की जांच हुई जिसमें 32 मी. नाली क्षतिग्रस्त पाया गया। जांच में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारी अंशु चतुर्वेदी ने पंचायत के सरपंच को कड़ी फटकार लगाई थी, ग्रामीणों के समक्ष यह बात सामने आई की कम मात्रा में सीमेंट, रेत और प्राक्कलन के अनुरूप सरिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उक्त प्रकरण में कहा गया कि 8 एमएम के हिसाब से भुगतान होगा जिसको लेकर शिकायतकर्ताओं ने कलेक्टर जनदर्शन में आपत्ति की है और कहा है कि जब तक प्रधानमंत्री कार्यालय के नियुक्त एजेंसी से जांच नहीं हो जाती तब तक उक्त मामले पर किसी भी प्रकार का भुगतान न किया जाए वही भ्रष्टाचार पर प्रथम दृष्टिया FIR कराने की बात युवाओं ने की है। महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि 17 अगस्त को मामले की जांच की गई है और जांच के  15 दिन बाद पोर्टल में अपलोड किया गया है।
हमने पड़ताल में यहां पाया कि 32 मी. क्षतिग्रस्त नाली को पुनः निर्माण किया जा रहा है। जिसे अब  पूर्ण किए जाने की बात सामने आ रही है।

बल्ली के सहारे ऐसा नायाब नमूना

बल्ली के सहारे कर दिया था नाली को खड़ा
इस मामले में अजीबोगरीब इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया था मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों अधिकारियों ने तो इस निर्माण कार्य में झांकना भी जरूरी नहीं समझा नाली के ढहने के बाद सरकारी भुगतान प्राप्त करने के लिए बल्ली के सहारे खड़ा कर दिया गया जो गिनीज बुक में रिकॉर्ड होते होते रह गया ग्रामीणों ने शिकायत की तो जांच के एक दिन पहले बल्लियों को हटाया गया, जांच में अंततः 32 मीटर को फिर से बनाने कहा गया।

फाइल

विधायक ,सांसद को भी प्रतिलिपी
इस मामले में सोमवार 2 सितंबर को पुनः जनदर्शन में युवाओं ने कलेक्टर से अपील की है कि इस कार्य का कोई भी भुगतान न होने दे बता दें कि इस मामले पर क्षेत्रीय विधायक ललित चंद्राकर और दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल को भी इस मामले पर पत्र प्रेषित किए जाने की बात सामने आ रही है। बहरहाल मनरेगा में इस तरीके के भ्रष्टाचार को क्या विष्णुदेव सरकार बर्दाश्त कर लेगी या मोदी की गारंटी इसी भ्रष्टाचार का नाम तो नहीं? बड़ा सवाल है, जांच में अपलोड किए गए दस्तावेज के आधार पर 32 मी नाली ध्वस्त तो पाई गई है लेकिन जिम्मेदारी तय नहीं हुई है जबकि मामले पर एफआईआर की भी मांग हुई है। ऐसे में किसी मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता।

 

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Author: dhaaranews

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