गुलाब @ अंजोरा, दुर्ग

दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक दिनांक 6 सितंबर 2022 को आयोजित की गई। बैठक कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी.दक्षिणकर दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के मुख्य आतिथ्य एवं निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक का आयोजन समिति के सदस्य सचिव डॉ. विकास खुणे, कार्यक्रम समन्वयक कृषि विज्ञान केंद्र,अंजोरा द्वारा किया गया। बैठक में कार्यक्रम समन्वयक द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र का वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन 2021 की एवं वर्ष 2022 की कार्य योजना का पावर पाइंट प्रस्तुतीकरण दिया गया। मुख्य अतिथि कुलपति ने कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मोरिंगा पाउडर के पोषण एवं औषधीय महत्व को बताते हुए लोग जनों को जागरूक करने के साथ ही कार्बनिक एवं प्राकृतिक खेती तकनीक को प्रक्षेत्र परीक्षण एवं प्रदर्शन के माध्यम से अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने हेतु सुझाव दिया। छत्तीसगढ़ की जलवायु में ओस्मानाबादी नस्ल के बकरों का प्रदर्शन एवं परीक्षण कर बकरों का वितरण किया जाए, साथ ही स्थानीय नस्ल एवं ओस्मानाबादी बकरियों के बीच के अंतर का आंकलन कर इस नस्ल में विभिन्न पैरामीटर में खनिज मिश्रण का आंकलन भी किया जाए। डॉ.एस.आर.के. सिंह, निदेशक आई.सी.ए.आर. अटारी जो़न-9, जबलपुर के प्रगतिशील कृषक श्री नोवेश्वर कुमार से चर्चा कर कहा कि वैज्ञानिकों को जिले में उन्नत नस्ल की बकरियों की संख्या बढ़ाकर प्रसार किया जाए ताकि वे कृषि के साथ अपनी आय में वृद्धि कर सकें साथ ही इस केंद्र में संचालित विभिन्न इकाइयों का भ्रमण किया। डॉ.संजय शाक्य, निदेशक विस्तार शिक्षा ने स्वागत भाषण दिये। डॉ. जितेंद्र सिंह अधिष्ठाता उद्यानिकी महाविद्यालय, राजनांदगांव ने कृषि विज्ञान केंद्र में पोषण वाटिका में उन्नत किस्म के सब्जियों का बीज उपयोग कर कृषकों के लिए मॉडल तैयार करने के साथ ही अनाज संग्रहण करने के लिए करंज एवं सीताफल पत्तियों का उपयोग करने हेतु सुझाव दिए। डॉ.किशोर मुखर्जी प्राध्यापक, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा ने बाड़ी में मुर्गी नस्ल का प्रक्षेत्र पर परीक्षण करने हेतु सुझाव दिए। अन्य सदस्यों ने दुर्ग जिले के जिला परियोजना अधिकारी नाबार्ड के श्री एम.बारा ने समन्वित कृषि प्रणाली पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाये साथ ही कृषिको का कृषक उत्पादक समूह बनाया जाए। उप संचालक पशुचिकित्सा सेवाएं के प्रतिनिधि डॉ.एस.सी. देशमुख, उप संचालक कृषि से प्रतिनिधि श्री विकास साहू एवं विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी उपस्थित थे। प्रगतिशील पशुपालक ग्राम भरदा के श्री नोवेश्वर ने ओस्मानाबादी बकरी प्रक्षेत्र के अनुभव साझा किए। कार्यक्रम को सफल बनाने में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.एस.के. थापक, डॉ. उमेश पटेल, डॉ. राजकुमार गढ़पायले, श्रीमती सोनिया खलखो का सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशा शर्मा तथा आभार प्रदर्शन डॉ.विकास खुणे ने किया।

