खोमेंद्र साहू @ रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार भी जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि अनुमति केंद्र सरकार देती है।
हसदेव अरण्य क्षेत्र में आवंटित सभी कोयला खदानों का आवंटन रद करने के लिए राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी। इस संबंध में मंगलवार को विधानसभा ने सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया। यह अशासकीय संकल्प जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) के विधायक धर्मजीत सिंह ने प्रस्तुत किया था। भाजपा के सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। विभागीय मंत्री (खनिज) के तौर इस पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राज्य सरकार की तरफ से इस पर सहमति व्यक्त की।बघेल ने कहा कि राज्य सरकार भी जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संकल्पित है। उन्होंने प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोयला खदानों का आवंटन और खनन की अनुमति केंद्र सरकार जारी करती है।
वहीं, इस संबंध में अपना संकल्प प्रस्तुत करते हुए जकांछ विधायक धर्मजीत सिंह ने बताया कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में अभी पांच से अधिक कोयला खदानों का आवंटन किया गया है। कोयला खनन से लाखों पेड़ कटेंगे। वन्यजीव प्रभावित होंगे और पर्यावरण को भी गंभीर खतरा होगा। यहां तक कि मिनीमाता बांगों बांध भी खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने देश में कोयला खदानों और खनन का आंकड़ा बताते हुए कहा कि प्रदेश और देश में अभी ऐसे कई कोयला खदानें हैं जो वन क्षेत्रों के बाहर हैं और अभी आवंटन भी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हदसेव अरण्य क्षेत्र में सभी कोयला खदानों का आवंटन रद करके उन कंपनियों को प्रदेश या दूसरे राज्यों में अन्य खदानों का आवंटन किया जा सकता है।