आज सुबह-सुबह सब लोगों ने एक समाचार पत्र पढ़ा तो सहसा ऐसा लगा कि रिसाली नगर निगम में कुछ देर में ही अविश्वास प्रस्ताव आ जाएगा और मेयर शशि सिन्हा की कुर्सी आज ही के आज गिर जाएगी। लेकिन फ्रंट पेज पर प्रमुखता से छपी खबर ने यह नहीं बताया कि इस्तीफा किसने दिया है बड़े-बड़े अक्षरों में आठ कांग्रेस पार्षदों का इस्तीफा लिख दिया गया जिसने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी।नगर निगम के कांग्रेसी पार्षदों को लगातार फोन आने लगे की क्या आपने इस्तीफा दिया है इस पर सभी ना नुकुर करने लगे।
समाचार पत्र की विश्वसनीयता पर सवाल
वैसे यह समाचार पत्र मजदूर गरीब आम जनता की आवाज उठाती है वहीं राजनीतिक तौर पर भी अच्छी खबरें देती है पर इस खबर ने आज इस समाचार पत्र की दुर्ग जिले में साख ही मिटा दी। इस खबर को पढ़ने के बाद धारा न्यूज़ ने भी अपने स्तर पर पड़ताल की लेकिन किसी एमआईसी मेंबर का इस तरह से जवाब नहीं आया ?
कुछ MIC मेंबर्स रहे पार्षदों को व्हाट्सएप में जवाब मांगा गया तो जवाब ही नहीं आया। इस खबर को पूरा पढ़कर यह स्पष्ट लगा कि किसी ने इस खबर को छपवा दिया है और छप गया।
मीडिया स्वतंत्र है इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कुछ भी लिख दें पार्षदों के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव आया ही नहीं है लेकिन समाचार पत्र के माध्यम से शहर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश साफ झलक रही है। इस अखबार ने कई आयाम गढ़े हैं और कई लोगों की आवाज बनी लेकिन अपनी विश्वसनीयता को दुर्ग जिले और भिलाई जैसे शहर में बरकरार रख नहीं सका।
धारा न्यूज़ ने भी कई दफा महापौर सिन्हा की कुर्सी खतरे में है ऐसा अंदेशा जरूर जताया लेकिन गैर प्रमाणिक खबरें नहीं छापी।
रिसाली नगर निगम में डैमेज कंट्रोल की कोशिश
यह संभावना जरूर है कि कभी भी शहर सरकार जा सकती है लेकिन उसके लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए जो अभी भी भाजपा के पास नहीं है। 18 से 19 पार्षदों ने जो विरोध का स्वर पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के समक्ष बुलंद किया था उसमें से आठ लोग यदि भाजपा को समर्थन दे देते हैं तो भी मेयर शशि सिन्हा की कुर्सी नहीं गिरेगी।
आज की खबर अगर प्रामाणिकता के साथ छपती तो निश्चित रूप से भाजपा हरकत में आती लेकिन अभी मामला ठंडा बस्ते में ही है। महापौर शशि सिन्हा ने अपने विवेकाधिकार से डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और चार सदस्यों को एमआईसी से हटाकर अन्य सदस्यों को मौका दे दिया इससे काफी हद तक सरकार बचाने की कोशिश की गई है, नाराजगी जरूर कांग्रेसी पार्षदों में है लेकिन किसी के इस्तीफे की खबर अभी तक पुष्टि नहीं हुई। इस खबर के माध्यम से शायद महापौर को अपने फैसले पर विचार करने के लिए मजबूर करना किसी व्यक्ति विशेष का उद्देश्य हो सकता है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
असली गणित यह है
समाचार पत्र के मुताबिक रिसाली नगर निगम में कांग्रेस के 24 पार्षद हैं एक पार्षद का निधन हुआ है तो 23 बता दिया गया है जबकि ऐसा नहीं कांग्रेस के पास फिलहाल 24 पार्षद। 15 पार्षद भाजपा में है ऐसे में यदि आठ लोगों ने इस्तीफा भी दिया होगा तो उसकी संख्या 23 होती है और कांग्रेस की संख्या 16 होती है इस स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव आना संभव नहीं है।
राजनीति के जानकारो के अनुसार भाजपा को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 26 से 27 पार्षद चाहिए जो फिलहाल की स्थिति में तो नहीं है।
पाला बदलना आसान नही
रिसाली नगर निगम के कई कांग्रेसियों ने चुनाव के एन मौके पर बीजेपी का दामन थामा लेकिन अब तक मात्र दो निर्दलीय पार्षद ही कांग्रेस से बीजेपी में गए हैं लगभग 1 साल होने जा रहा है लेकिन भाजपा के नेता नाराज कांग्रेसी पार्षदों को अपनी ओर रिझाने में नाकाम हुए हैं। कई लोगों ने भाजपा का दामन थामा लेकिन कोई खास प्रगति उस पार्टी में भी नहीं दिखती है बस दल बदल लिए हैं बाकी सब कुछ ठीक वैसा ही चल रहा है। ऐसे में बेहतर भविष्य देखने वाले पार्षद दल बदल कर अपना करियर खराब एक MIC पद के लिए शायद ही करेंगे, लेकिन इसकी संभावना जरूर है इससे इनकार नहीं किया जा सकता फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में ही है।