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बड़ी खबर: 12 मार्च से किसान खुद की मंडी सजायेंगे, कोचियों और उपभोक्ताओं को बेचेंगें थोक में ताजी सब्जियां

  • 12 मार्च से किसान खुद की मंडी सजायेंगे, कोचियों और उपभोक्ताओं को बेचेंगें थोक में ताजी सब्जियां
  • 8% कमीशन के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरेंगे
  • केंद्र और राज्य सरकारों ने आजतक सब्जी उत्पादक किसानों की सुध नहीं ली है
  • बाजार और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षा के लिये नहीं बनाया नीति, योजना और कार्यक्रम

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के बैनर तले जिले के सब्जी उत्पादक किसानों की बैठक कृषि उपज मंडी के प्रांगण में हुई, बैठक में सब्जी उत्पादक किसान इस बात को लेकर आक्रोशित थे कि 14 फरवरी से सब्जी मंडियों में कारोबार 9 बजे से शुरू करने संबंधी मंडी प्रशासन के आदेश पर अमल नहीं किया गया, कारोबार कोरोना काल के दौरान शुरू किये समय सुबह 4 बजे से की किया जा रहा है, बैठक में आगाह किया गया है कि यदि सब्जी मंडियों में कारोबार 9 बजे से शुरू करने संबंधी आदेश का पालन नहीं किया गया तब रविवार 12 मार्च से किसान खुद ही मंडी सजाकर अपने उत्पाद थोक में सीधे कोचियों और उपभोक्ताओं को नगद में बेचेंगे, किसान मंडी कृषि उपज मंडी के प्रांगण में लगायी जायेगी, सब्जियों की नीलामी 10 बजे से शुरू की जायेगी किसान मंडी में सब्जी बेचने वाले किसानों से कोई कमीशन या दलाली नहीं लिया जाएगा, उपभोक्ताओं को ताजी सब्जियां मिलेगी,
बैठक में सब्जी मंडियों में 8% दलाली वसूलने के मुद्दे पर चर्चा की गई और इसके लिये शासन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया और राज्य सरकार पर आरोप लगाया गया कि कमीशन की राशि निर्धारित करने के लिए शासन प्रशासन ने कोई तंत्र विकसित नहीं किया जिसका अनुचित लाभ सब्जी दलालों ने उठाया और मनमर्जी कमीशन तय कर लिया चूंकि यह राज्य स्तरीय मुद्दा है इसलिए राज्य सरकार को घेरा जायेगा,
बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों को निशाने में लेते हुए कहा गया है कि सब्जी उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकारों ने आज तक कोई नीति, योजना और कार्यक्रम नहीं बनाया गया सब्जी उत्पादक किसानों को बाजार की शक्तियों और मौसम के हवाले कर दिया गया है जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है दाम न मिलने पर सब्जियों को सड़कों पर फेंकने के लिए विवश होना पड़ता है, उद्यानिकी फसलों के लिए सरकारों की मौसम आधारित बीमा योजना को अलाभकारी बताकर खारिज करते हुए कहा गया है कि उद्यानिकी फसलों के लिए ऐसी बीमा योजना लाया जाना चाहिए जो मौसम और बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों से किसानों को होने वाली क्षति से सुरक्षा प्रदान करे, वर्तमान में प्रीमियम की राशि भारी भरकम है और किसानों को बीमा योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है, सरकार को उद्यानिकी फसलों के लिए लागत के आधार पर न्यूनतम मूल्य गारंटी योजना लागू करना चाहिये,
बैठक में सब्जी उत्पादक किसानों का अलग संगठन बनाने का निर्णय लिया गया, एक तदर्थ समिति का गठन किया गया है गाजल सिन्हा को संयोजक और हरिलाल, भोला पटेल को सह संयोजक बनाया गया है, बैठक में जिले के 75 से अधिक सब्जी उत्पादक किसान शामिल हुए ।

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Author: dhaaranews

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