
मैथिली ठाकुर, जो एक लोकप्रिय लोक गायिका हैं, हाल ही में भाजपा में शामिल हुई हैं और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा जिले के अलीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाई गई हैं। यह सीट मिथिलांचल क्षेत्र का हिस्सा है, जहां भाजपा युवा और सांस्कृतिक प्रभाव वाले चेहरों को उतारकर वोटों को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। लेकिन क्या उनकी राह आसान है? ग्राउंड रिपोर्ट्स और उपलब्ध डेटा के आधार पर कहें तो यह राह ज्यादा आसान
नहीं लग रही। आइए, विस्तार से देखें:
1. अलीनगर सीट का बैकग्राउंड
2020 चुनाव परिणाम: यह सीट विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मिश्रि लाल यादव ने जीती थी, जो भाजपा की सहयोगी थी। लेकिन बाद में यादव भाजपा में शामिल हो गए, जिसके कारण उनकी विधायकी रद्द हो गई। अब एनडीए को नया चेहरा उतारना पड़ा।
वर्तमान स्थिति : आरजेडी के बिनोद मिश्रा मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। सीट पर यादव और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटरों का दबदबा है। मैथिली का मिथिला से जुड़ाव (मधुबनी मूल) फायदेमंद हो सकता है, लेकिन जातिगत समीकरण (मैथिल ब्राह्मण/ईबीसी vs यादव) चुनौतीपूर्ण हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट: मीडिया रिपोर्ट्स (जैसे द हिंदू और आउटलुक इंडिया) के अनुसार, अलीनगर एक “की बैटलग्राउंड सीट” है, जहां एनडीए को युवा वोटरों को लुभाने के लिए मैथिली जैसी हस्तियों पर भरोसा है। लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं में असंतोष की खबरें हैं – कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि भाजपा ने उन्हें “जबरदस्ती” टिकट दिया, जबकि वे खुद चुनाव लड़ना नहीं चाहती थीं।
2. मैथिली ठाकुर की ताकतें
लोकप्रियता: मैथिली की सोशल मीडिया फैन फॉलोइंग मजबूत है (यूट्यूब पर लाखों सब्सक्राइबर्स)। वे मैथिली संस्कृति, भजन और लोकगीतों के लिए जानी जाती हैं। पीएम मोदी ने भी उनकी तारीफ की है (“उनकी मधुर धुनों में बिहार की झलक”)। मिथिलांचल (लगभग 40 सीटें) में भाजपा को 2020 में 20 सीटें मिली थीं – यहां उनकी स्टार वैल्यू से 5-8 अतिरिक्त सीटें प्रभावित हो सकती हैं, खासकर ईबीसी और मैथिल वोटरों में।
भाजपा की रणनीति: एनडीए की “M3 स्ट्रैटेजी” (मिथिला, म्यूजिक, महिला) के तहत मैथिली को स्टार कैंपेनर बनाया गया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट्स दिखाते हैं कि युवा वोटरों (जेन-जेड) में उनका स्वागत हो रहा है, जो कांग्रेस/राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पक्ष में शिफ्ट हो रहे हैं।
उनकी तैयारी: मैथिली ने कहा है, “मैं राजनीति खेलने नहीं, बदलाव लाने आई हूं। नीतीश कुमार के काम के लिए आभारी हूं।” वे बेनिपट्टी (मधुबनी) से लड़ना चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने अलीनगर चुना।
3. चुनौतियां और ग्राउंड रिपोर्ट्स
राजनीतिक अनुभव की कमी: मैथिली का राजनीतिक बैकग्राउंड जीरो है। एक्स पर एक यूजर (@drkamleshkumar_) ने लिखा: “मिथिला में उनका कोई असर नहीं होगा। बिहार में गायक/नर्तक वोट प्रभावित नहीं करते – जाति, भर्ती और सत्ता का बोझ ज्यादा मायने रखता है।” यह ओपिनियन कई ग्राउंड रिपोर्ट्स से मेल खाता है, जहां बिहार की राजनीति अभी भी जाति-आधारित है।
विपक्ष की मजबूती : महागठबंधन (आरजेडी+) में तेजस्वी यादव की लहर चल रही है। इंडिया टुडे के ओपिनियन पोल (जून 2025) के अनुसार, तेजस्वी को 37% समर्थन, नीतीश को 18% और प्रशांत किशोर (जन सुराज) को 16%। उत्तरी बिहार (मिथिलांचल सहित) में एनडीए को 46% वोट मिले थे, लेकिन जन सुराज मुस्लिम/युवा वोट काट सकता है।
स्थानीय विरोध: न्यूज एरेना इंडिया की रिपोर्ट (अक्टूबर 2025) कहती है कि भाजपा ने स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मैथिली को टिकट दिया। एक्स पर पोस्ट (@Vtxt21) में दावा: “मैथिली चुनाव नहीं लड़ना चाहतीं, लेकिन भाजपा दबाव डाल रही है।” इससे पार्टी के अंदरूनी कलह बढ़ सकता है।
क्षेत्रीय ग्राउंड: मिथिलांचल में बाढ़-प्रभावित इलाकों में महादलित एकीकरण मजबूत है, लेकिन युवाओं में रोजगार की मांग तेज है। एनडीए पर सत्ता का बोझ (इनकंबेंसी) और आरजेडी पर “जंगलराज” का डर – दोनों फैक्टर बैलेंस्ड हैं।
4. कुल मिलाकर ग्राउंड रिपोर्ट क्या कहती है?
सकारात्मक: मैथिली की सॉफ्ट इमेज और सांस्कृतिक अपील से एनडीए को युवा/महिला वोटरों में फायदा हो सकता है। स्टार कैंपेनर के रूप में वे पूरे मिथिलांचल में असर डाल सकती हैं।
नकारात्मक: अलीनगर में जातिगत समीकरण, विपक्ष की मजबूती और राजनीतिक अनुभव की कमी से राह कठिन। एक्स और मीडिया ग्राउंड रिपोर्ट्स (जैसे एबीपी लाइव, ईटी) दिखाते हैं कि बिहार में “स्टार कैंडिडेट्स” हमेशा सफल नहीं होते – जाति और स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं।
संभावना: जीत की संभावना 40-50% के आसपास लग रही, लेकिन अगर वे कैंपेनिंग में मैथिली संस्कृति को जोड़ सकें, तो सरप्राइज हो सकता है। चुनाव 6 नवंबर को (पहला चरण), रिजल्ट 14 नवंबर को।