खोमेंद्र @ बालोद
जब कानून का डंडा चलता है तो अच्छे अच्छों की बैंड बज जाती है। एक पुलिस वाला ही इस दकियानूसी परंपरा का शिकार हो गया जिस समाज ने पूरे 24 साल एक सूची जारी कर बकायदा अंतरजाति विवाह करने पर बालोद जिला के (टिकरी)अर्जुंदा के संदीप देशमुख जो कि पुलिस विभाग में प्रधान आरक्षक के पद पर राजनांदगांव में पदस्थ हैं उन्हें उनके परिवार सहित बहिष्कृत कर रखा था।
जिसकी शिकायत उन्होंने विभिन्न जगहों पर की थी जिस पर पुलिस जांच में उभय पक्षों से बयान लिए गए और पुलिसिया जांच में समाज के पदाधिकारियों ने एक स्टांप पेपर में लिखकर शपथ पत्र दिया कि संदीप समाज का अभिन्न सदस्य था और रहेगा उन्हें किसी प्रकार से सामाजिक कार्यक्रमों व रीति रिवाज तथा अन्य समारोह व कार्यक्रमों में आने जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
धारा न्यूज़ को सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों में यह खुलासा हुआ है कि समाज के कुछ पदाधिकारियों ने इसे परिवारिक और जमीन से जुड़ा मामला बताया था मगर यह मामला पारिवारिक के साथ-साथ सामाजिक भी था जिसके दबाव में आकर ही परिवार ने भी संदीप देशमुख का बहिष्कार कर रखा था।
बहरहाल अब कोई सामाजिक पदाधिकारी आज के समय में जेल जाने से ज्यादा भला यह लिख कर देने में यकीन करते हैं कि हमने किसी को बहिष्कृत नहीं किया है अन्यथा गैर जमानती अपराध दर्ज होने पर मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
ऐसा पहली बार दिल्लीवार कुर्मी समाज में नहीं हो रहा है आपको बता दें कि इससे पूर्व भी 25 युवकों ने इस सामाजिक बहिष्कार के विरुद्ध दुर्ग जिला प्रशासन को सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी।