गुलाब @ गुंडरदेही
कहते हैं बच्चे देश के भविष्य होते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिक शिक्षा का आधार यदि तगड़े हों तो वे बच्चे देश का भविष्य बदल देते हैं। लेकिन यह बातें सिर्फ भाषणों में अच्छी लगती है कागजों पर, दीवारों पर लिखे स्लोगन के तौर पर ही सही लगती है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गुंडरदेही ब्लॉक में एक गांव है धर्मी जो डंगनिया पंचायत का आश्रित गांव है, वहां 27 साल पुराने स्कूल भवन में कक्षाएं लगती थी। अब वह भवन जर्जर हो चुका है, छत का छड़ जगह-जगह दिखाई दे रहा है सीमेंट भरभरा कर कभी भी गिरता रहता है, जिसके चलते अतिरिक्त निर्माण के तहत बनाए गए कमरे में पहली से पांचवी कक्षा के बच्चे पढ़ाई करने मजबूर हैं और वही खाना भी खाते हैं।
3 शिक्षकों वाले इस स्कूल में 36 बच्चे हैं।शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं लेकिन बच्चों को वे अलग क्लासरूम नहीं दे पा रहे हैं। दो अतिरिक्त कमरों की आवश्यकता है जिससे बच्चों को व्यवस्थित किया जा सकता है। प्रशासन और शासन को ग्रामीणों व पालकों ने इस संबंध में अवगत भी कराया लेकिन अभी तक राशि संबंधित विभाग से स्वीकृत नहीं हो पाई है।
इस स्कूल के लिए शाला प्रवेशोत्सव बना मजाक
यहां पहली से पांचवी तक की पढ़ाई की जाती है और लेकिन यहां राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में मनाए जा रहे प्रवेश उत्सव इस स्कूल के लिए भद्दा मजाक बन गया है। बच्चे स्कूल में प्रवेश तो कर रहे हैं लेकिन कब जर्जर भवन में कोई दुर्घटना हो जाए यह कोई नहीं जानता। हालांकि जर्जर भवन में कक्षाएं नहीं लग रही है, लेकिन एक ही कक्ष में सभी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में कोई उत्सव कैसे मनाया जाए।
एक बच्चे की मां ने बताया कि बच्चा पूछता है मां मेरा स्कूल कब बनेगा, कब मैं अलग क्लास में बैठूंगा। जर्जर भवन में पानी टपकता है।
शाला समिति के अध्यक्ष देशमुख ने बताया कि शासन को पत्र लिखा जा चुका है, अवगत भी कराया गया है लेकिन अभी तक राशि स्वीकृत नहीं की गई है।
सवाल बाकी है
सोचने वाली बात यह है राज्य सरकार स्वामी आत्मानंद स्कूल का ढिंढोरा पीट रही है लेकिन गुंडरदेही ब्लॉक के धर्मी गांव के प्राथमिक स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए ढंग की व्यवस्था हम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में आखिर कैसे गढ़ेगा नया छत्तीसगढ़ और कैसे बढ़ेगा छत्तीसगढ़। सवाल अभी बाकी है।