दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, अंजोरा-दुर्ग में 30 दिवसीय फिश एण्ड सीफूड प्रोसेसिंग टेक्निशियन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ.(कर्नल) एन.पी. दक्षिणकर ने बताया कि इस प्रशिक्षण से विभिन्न प्रकार की मछलियों के उत्पाद बनाकर आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। कुलपति जी ने यह भी बताया कि मछली से बनने वाली मछली अचार बहुत लोकप्रिय हैं और इसे प्रशिक्षण के द्वारा सभी प्रशिक्षकों को सिखाना है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय शाक्य निदेशक विस्तार शिक्षा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में तालाबों की संख्या बहुत अधिक है जहां से मछली उत्पादन बढ़ाकर इसका प्रसंस्करण करके स्वयं की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। कार्यक्रम में उपस्थित निदेशक अनुसंधान सेवाएं डॉ.जी.के. दत्ता ने बताया कि इस प्रशिक्षण से मछलियों से बनने वाले सभी उत्पाद को बाजार में जीविकोपार्जन के लिए छोटी दुकान भी लगाया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित अधिष्ठाता मात्स्यिकी महाविद्यालय कवर्धा डॉ. राजू शारदा ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण में मिलने वाली सभी प्रायोगिक ज्ञान को अच्छे से सीखने तथा उनको अपने जीवन में अपनाने के लिए अपील की। इस प्रशिक्षण के समन्वयक के रूप में डॉ. जितेंद्र कुमार जाखड़ रहे,जिन्होंने इस पूरे प्रशिक्षण की रूपरेखा के बारे में बताया कि यह प्रशिक्षण 23 फरवरी 2023 से 26 फरवरी 2023 तक चलेगा जिसमें 30 उम्मीदवारों ने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से भाग लिया तथा पूरे 30 दिन के कार्यक्रम की सारणी से सभी उम्मीदवारों को अवगत कराया। इस प्रशिक्षण में समन्वयक के रूप में डॉ. बी.नाइटेंगली देवी, प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ.कमलेश पण्डा तथा डॉ.दुष्यंत कुमार दामले रहे, जिन्होंने सभी 30 प्रशिक्षणार्थियों को जलीय कृषि तथा मछलियों की प्राकृतिक खाने, खाद्य श्रृंखला, मछलियों की शारीरिक बनावट, मछलियों की विविधता के बारे में व्याख्यान दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. सुभाष वर्मा, विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी, डॉ.अमित गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्री तामेश्वर, वर्षा लिखार, बसंत सिंह, देवेंद्र वर्मा इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।