आखिर विवाद क्या है ?
पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब कॉलेजियम को लेकर बहस जारी है। यह बहस केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान के बाद शुरू हुई थी जिसमें उन्होने जजों की नियुक्ति करने की पूरी प्रक्रिया को ही ‘संविधान से परे’ बता दिया था। उन्होने कहा था कि मैं न्यायपालिका या न्यायाधीशों की आलोचना नहीं कर रहा हूँ। मैं सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की वर्तमान प्रणाली से ख़ुश नहीं हूँ। कोई भी प्रणाली सही नहीं है। हमें हमेशा एक बेहतर प्रणाली की दिशा में प्रयास करना और काम करना है। उप-राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला भी कह चुके हैं कि न्यायापालिका, विधायिका के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही है।
कानून मंत्री के Justice DY Chanderchud को लिखे पत्र में क्या है ?
क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम में केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव देते हुए चीफ जस्टिस DY Chanderchud को एक पत्र लिखा है। उन्होने अपने पत्र में मांग की कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम में सरकार का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
दरअसल अभी मौजूदा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। वहीं हाई कोर्ट कॉलेजियम में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। अहम बात यह है कि कॉलेजियम जिन नामों की सिफारिश देता है वो बाध्यकारी हैं।