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नवजात को पीलिया होना क्या आम बात है? जानिए इसका उपचार कैसे और कब करना चाहिए

स्वास्थ्य धारा

  • नवजा‍त शिशु की इम्‍यूनिटी पॉवर ठीक तरह से विकसित नहीं होती है इसलिए उन्हें कुछ भी देने से पहले डॉक्‍टर का परामर्श अवश्य लेना चाहिए.

लिवर कमजोर होने पर कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं, पीलिया या जॉन्डिस भी लिवर की एक बीमारी है जिसमें पीड़ित की आंखें और शरीर की त्वचा ढीली पड़ जाती है. ज्यादातर पीलिया नवजात शिशु और छोटे बच्चों में नजर आता है. कुछ बच्चे तो जन्म से ही पीलिया ग्रसित होते हैं. लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं होती है, क्योंकि जन्म के एक से दो सप्ताह के भीतर बच्चे खुद- ब-खुद ठीक हो जाते हैं. नवजात बच्चों में पीलिया एक आम बात है. विशेषज्ञ और डॉक्टर्स के अनुसार 20 में से लगभग 16 नवजात बच्चों को ये बीमारी होती है और केवल कुछ बच्चों को ही इसके इलाज की आवश्यकता पड़ती है. पीलिया होते ही शरीर पर साफ दिखाई देना शुरू हो जाता है,इसका पहला लक्षण होता है शरीर में पीलापन चेहरे, छाती, पेट, हाथों व पैर पीले हो जाते हैं और आंखो के अंदर का सफेद भाग भी पीला पड़ने लगता है.

पीलिया के लक्षण होते हैं-बच्चों को उल्टी और दस्त होना.-सौ डिग्री से ज्यादा बुखार रहना.-पेशाब का रंग गहरा पीला होना.-चेहरे और आंखों का रंग पीला पड़ना.

नवजात बच्चों में पीलिया के कारण एनएचएस डॉट कॉम के अनुसार पीलिया ज्यादातर अविकसित लिवर के कारण होता है; लिवर खून से बिलीरुबिन को साफ करने का काम करता है, लेकिन जिन बच्चों का लिवर सही प्रकार से विकसित नहीं हो पाता उन्हें बिलीरुबिन को फिल्टर कर पाने में कठिनाई होती है.ऐसे बच्चों के शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ जाती है और वह पीलिया से ग्रस्त हो जाते हैं. प्रीमेच्योर बच्चे यानी जिन बच्चों का जन्म किसी कारणवश समय से पहले हो जाता है, उनमें जॉन्डिस का खतरा सबसे अधिक होता है.

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Author: dhaaranews

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