गुलाब देशमुख @ दुर्ग
दुर्ग जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 में चुनाव होना है जिसके लिए नामांकन के लिए 9 जून तक का समय दिया गया है। खबर लिखे जाने तक अभी तक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा अपने समर्थित प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं ना किसी ने नामांकन भरा है।
यह सीट जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव के निधन के पश्चात खाली है जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर लगभग महीने भर पहले पुष्पा यादव निर्वाचित हुई है।
जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 में अभी तक कोई दावेदार खुलकर सामने नहीं आया है। हालांकि राष्ट्रीय दलों के सिंबल पर चुनाव नहीं होगा। फिर भी कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर होगी। यह पद महिला ओबीसी के लिए आरक्षित है।
भारतीय जनता पार्टी से बीना महतेल का नाम सामने आ रहा है जो सशक्त दावेदार मानी जा रही हैं और उनकी जीत भी आसान मानी जा रही है लेकिन अभी तक उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
वहीं कांग्रेस में अंजोरा (ख) से इंद्राणी यादव और रसमड़ा की लक्ष्मी साहू का नाम चर्चा में है।
लक्ष्मी साहू पिछली बार इसी पद के लिए शालिनी यादव से पराजित हुई है। वहीं इंद्राणी यादव सरपंच पद के लिए हुए चुनाव में हार गई थी।
चुनावी विश्लेषको के मुताबिक क्षेत्र में रिवेंद्र यादव की मजबूत पकड़ है पत्नी शालिनी यादव को उनके रहते ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया गया था सरपंच संघ के अध्यक्ष भी रहे थे तो उन पर दारोमदार है कांग्रेस की नैया पार लगाने का।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भी अपनी पसंद के तौर पर कांग्रेस पैनल में जो नाम दिया है वो बोरई की ही निवासी बताई जा रही है।
तो वहीं पूर्व जनपद उपाध्यक्ष महेंद्र सिन्हा की पत्नी का नाम भी सामने आ रहा है।
कांग्रेस में उहापोह की स्थिति है। आज की स्थिति में नाम फाइनल नहीं हो पाया है। इस क्षेत्र के दावेदार का चयन का जिम्मा मंत्री ताम्रध्वज साहू के कंधों पर हैं। उनके अनुशंसा से नाम फाइनल किया जाएगा मुश्किल से 2 दिन बचे हैं आज फाइनल होने की उम्मीद भी है।
बहरहाल दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का इसे सेमीफाइनल कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भाजपा के लिए यह जीत भी संजीवनी साबित होगी। बहरहाल भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी खत्म हुई है या नहीं इस चुनाव में पता भी चलेगा।
तो वहीं कांग्रेस के लिए खासकर मंत्री ताम्रध्वज साहू के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का है। अगर कांग्रेस इस सीट को हारती है तो मंत्री साहू जी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं होगी।
यह नदी किनारे बसे ग्रामीण क्षेत्र का चुनाव है। जहां कुर्मी व निषाद समाज के वोटर की भी बहुल्यता है। जो निर्णायक साबित होंगे। क्षेत्र में अवैध खनन, किसानों से जुड़े मुद्दे, सिंचाई, पर्यावरणीय प्रदूषण सहित लोगों के सामान्य प्रशासनिक शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होने जैसे मुद्दे हावी रहने की संभावना है।