गुलाब देशमुख @ रिसाली
दुर्ग जिले की रिसाली निगम में कल अचानक दोपहर में वर्मी कंपोस्ट की दो बोरी लेकर डुंडेरा से कुछ किसान व उनके साथ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पदाधिकारी और मंडल अध्यक्ष शैलेंद्र शेंडे के साथ दो दर्जन से ज्यादा लोग निगम आयुक्त कार्यालय के सामने बैठ गए और जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान पुलिस प्रशासन भी हरकत में आई बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक बीजेपी द्वारा प्रदर्शन किए जाने पर पुलिसिया तंत्र भी हैरान होकर रह गई।
ऐसा आखिर क्यों करना पड़ा
आपको बता दें कि ग्राम डुंडेरा रिसाली निगम के ग्रामीण आबादी के अंतर्गत आता है वहां कृषि कार्य की जाती है। जिसके लिए गौठानों में तैयार हो रहे वर्मी कंपोस्ट को लेना जरूरी है। वर्मी कंपोस्ट लेने और उसके परीक्षण करने के लिए गौठान पहुंचने पर वर्मी कंपोस्ट की बोरी में कम भर्ती पाई गई जहां 30 किलो वजन होना चाहिए वहां मात्र 24 किलो वजन में वर्मी कंपोस्ट तैयार हो रहे थे। पूर्व में किसी किसान द्वारा खरीदी की गई वर्मी कंपोस्ट की बोरी को भी निगम कार्यालय में वजन किया गया जिसमें केवल 18 किलो प्रदर्शित हो रहा था।
इस दौरान भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तौल मशीन भी लाकर निगम के अधिकारियों को दिखाया जिसमें वर्मी कंपोस्ट की भर्ती कम पाई गई थी।
इस मामले में निगम आयुक्त आशीष देवांगन से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता मिलना चाहते थे लेकिन आयुक्त आशीष देवांगन इस दौरान कार्यालय में नहीं थे बताया जाता है कि वे किसी कारण से छुट्टी में थे। निगम के अधिकारी आरके जैन ने इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है तो वहीं भाजपा के कार्यकर्ता लिखित में ज्ञापन नहीं देना चाहते थे जिसके लिए जमकर नारेबाजी भी की गई।
वर्मी कंपोस्ट खरीदी का क्या है नियम
एक किसान को प्रति एकड़ ₹ 900 की खरीदी अनिवार्य रूप से करनी है किसानों को सरकार आदान सहायता के रूप में प्रति एकड़ ₹ 9000 भी दे रही है जिसके चलते वर्मी कंपोस्ट को जरूरी कर दिया गया है किसान कह रहे थे कि हम वर्मी कंपोस्ट खरीदेंगे लेकिन अमानक और घटिया खाद खरीदने से भूमि बंजर हो रही है जितना 900 रुपए का खाद ले रहे हैं उससे कहीं ज्यादा तीन चार हजार रुपए प्रति एकड़ निंदाई कोड़ाई करने से परेशान है। आपको बता दें कि पैकिंग में 30 किलो की भर्ती आनी चाहिए। प्रति एकड़ 300 प्रति बोरी के हिसाब से 3 बोरी किसानों को खरीदना है। और उपयोग करना है, किसानों ने आरोप लगाया कि जैविक खेती के नाम से किसानों को सरकार द्वारा लूटा जा रहा है और उसमें भी पैकिंग में 6 से 12 किलो का डाका डाला जा रहा है।
कैसे तैयार हो रहा है यह वर्मी
दरअसल में ₹ 2 किलो की दर से किसानों से गोबर खरीदा जाता है उसे गोबर को वर्मी बनाकर 10 रुपए किलो में बाजार में बेचा जा रहा है जो किसानों के लिए सहकारी समिति में उपलब्ध है।
गौठानो में तैयार हो रहे हैं वर्मी कंपोस्ट को महिला स्व सहायता समूह तैयार कर रही है लेकिन उसके पैकेजिंग में किसी भी प्रकार का नाम अंकित नहीं है। ना वजन, एमआरपी से लेकर कुछ भी अंकित नहीं होने , खाद में क्या पोषक तत्व हैं, कंपोनेंट्स इंग्रेडिएंट्स उसमें मिले हैं उसकी भी जानकारी का उल्लेख नहीं है। बताया जाता है कि महिला समूह वर्मी खाद जरूर बना रही है लेकिन उनके उसके भुगतान में भी परेशानी है, सरकार द्वारा जो ढिंढोरा पीटा जा रहा है इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
बहरहाल किसानों के समर्थन में भाजपाइयों द्वारा प्रदर्शन किया गया जो चर्चा का विषय रहा। वही मशीन तौल कर दिखा दिया गया कि वजन में कितनी कमी है और किस तरीके से बंदरबांट किया जा रहा है यह उजागर भी हो रहा है।
किसानों ने वर्मी खाद की क्वालिटी से लेकर पैकेजिंग, उस से होने वाले नुकसान की जमीनी हकीकत के बारे में भी बताया है आगे जांच, कार्रवाई क्या होगी यह देखने वाली बात होगी।
इस दौरान मंडल अध्यक्ष शैलेंद्र शेंडे, पार्षद विधि यादव, खिलेंद्र चंद्राकर, हरीश नायक, छाया पार्षद दुर्गेश साहू, पूनमचंद सपहा, लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, परम, राजू जंघेल, मृत्युंजय साहू व अन्य मौजूद थे।