गुलाब @ रिसाली
रिसाली निगम और विवादों का नाता लगता है शायद खत्म नहीं होने वाला है, या कहें रिसाली निगम को विवादों के लिए ही बनाया गया है ऐसा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।आरटीआई कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने मीडिया को बताया है कि नगर पालिक निगम रिसाली में वर्तमान में एल्डरमैन की नियुक्ति हुई है उसमें वैधानिक पेंच है। सिद्दीकी का कहना है कि पिछले बार नगर पालिक निगम रिसाली में निगम के गठन बिना ही एल्डरमैन की नियुक्ति हो गई थी आठ एल्डरमैनो को 10 माह बाद हटा दिया गया था। और उनके एल्डरमैन निधि से 48 लाख रुपए का जो टेंडर लगा था उसे निरस्त कर दिया गया था लेकिन 10 माह तक जो 8 एल्डरमैन लोगों को मानदेय दिया गया लगभग 6 लाख रुपए की राशि की रिकवरी नहीं की गई थी फिर भी इनमें से 2 लोग अनूप डे और विलासराव बोरकर पार्षद का चुनाव लड़कर पार्षद भी बन गए इन्हें निगम का शून्य बकाया प्रमाण पत्र मतलब एनओसी कैसे जारी कर दिया गया यह सवाल तो उठता है। वर्तमान में 8 एल्डरमैनो की नियुक्ति की गई है उनमें से दो एल्डरमैन संगीता सिंह और तरुण बंजारे पहले भी एल्डरमैन रह चुके हैं उन्होंने भी 10 माह का मानदेय लिया है जिसकी रिकवरी नहीं हुई है तो फिर इन्हें एल्डरमैन पद पर फिर से कैसे नियुक्त कर दिया गया। श्री सिद्दीकी ने कहा है कि उपरोक्त कारणों से संवैधानिक अड़चन आ रही है क्योंकि नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धाराओं में स्पष्ट उल्लेख है कि जो व्यक्ति नगर पालिक निगम का देनदार होगा वह पार्षद या एल्डरमैन नहीं बन सकता।
बहरहाल विधानसभा चुनाव को महज सवा साल बचे हैं, लेकिन रिसाली नगर निगम के उठने वाले मामलों से आम लोगों में गलत संदेश के साथ साथ विकास की अड़चनें भी आ रही है। इससे कांग्रेस सरकार की छवि खराब हो रही है चाहे लाख छुपाने की कोशिश हो।