संपादकीय @ गुलाब देशमुख
आज गोमूत्र खरीदी का विधिवत शुभारंभ पाटन ब्लाक के करसा में हो गई जिसके प्रथम विक्रेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने। सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट अर्थात महत्वाकांक्षी योजना जिसे कहा जाता है वह ‘गौठान’ है। “नरवा गरवा घुरवा बारी” नामक इस प्रोजेक्ट को कांग्रेस सरकार ने ध्यान में रखा और शुरुआत हो गई गौठान के निर्माण की।
भारी-भरकम राशि से आदर्श गौठान बनाए गए, गौठान समिति का भी गठन हुआ। गौठानो के निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में गोबर खरीदी प्रारंभ हुई। गौपालकों के दिन बहुरने की शुरुआत हो गई, ऐसा दिखाया गया कि गोबर बेचने से किसानों के आय में वृद्धि हुई है किसी ने गाड़ी खरीद ली है तो महिला समूह की स्थिति बेहतरीन होते दिखाई गई।
गौठानो को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाने की योजना तैयार कर ली गई महिला समूह को गौठान में विभिन्न कार्य के लिए प्रोत्साहित किए जाने लगा वर्मी कंपोस्ट बनाती महिलाएं, केंचुआ बेचने से लेकर, मछली पालन, मुर्गी पालन और मशरूम की खेती से लेकर वह हर चीज होने लगी जो पहले असंभव होता था। महिलाओं के आजीविका का माध्यम बनने लगा गौठान।
लेकिन इन सब चीजों के बीच वह चीज छूट रही है जिसके लिए गौठान बना था किसानों ने उम्मीद की थी की गौठान बनने से आवारा पशुओं की संख्या में कमी आएगी लेकिन आप प्रदेश के किसी कोने में किसी गौठान के बारे में आप पता कर लीजिए जितने मवेशी गौठान के अंदर नहीं होती है। उससे कहीं ज्यादा मवेशियों की तादाद सड़क पर घूमती है, या रास्ते में बैठ जाया करती है। लोगों को आवाजाही में परेशानियों के साथ-साथ दुर्घटना भी आम हो चुकी है।
वर्तमान में किसानों के फसलों के संरक्षण का समय है लेकिन गांव में कांजी हाउस बंद होने के बाद किसानों के लिए नई समस्याएं पैदा हो रही है।
दुर्ग जिले में बालोद रोड में पुलगांव से अंडा तक सड़क चौड़ीकरण हो रहा है। सड़क चौड़ीकरण से आवाजाही में समस्याएं तो होती हैं लेकिन यह समस्या गंभीर तब हो जाती है जब दोपहर, शाम, रात में झुंड के झुंड में मवेशियां बैठी रहती है। वही नजारा पुलगांव अंजोरा मार्ग के नदी पुल पर देखने को मिल जाएगा।
चंदखुरी के चौक व बस स्टैंड या केनाल पारा के चौक पर कहें यहां भी वही हाल है। कुथरेल व अंडा के अटल चौक से लेकर आप किसी भी सड़क पर निकल जाए मवेशियों के बैठे होने की बात अब आम हो चुकी। कई मवेशियां तेज रफ्तार गाड़ियों से टकराकर मृत हो जाती है।
सवाल यह है क्या सड़क चौड़ीकरण के बाद भी यही स्थिति रहेगी!
क्या गोमूत्र खरीदने के बाद कोई बदलाव आ जाएगा! या समस्या जस की तस बनी रहेगी! क्या गोबर और गोमूत्र बेचने से गोपालकों के जीवन में सुधार के साथ अपने गौ वंशो को गौपालक बांधकर रखने लग जाएंगे!
आवारा मवेशियों की संख्या में दिन-ब-दिन बढ़ोतरी हो रही है ग्रामीण परिवेश की स्थिति जितनी खराब है उतनी ही शहरों का बूरा हाल है। गौठान योजना सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है लेकिन आप किसी भी सरकारी अफसर को जो इस गौठान के कार्यों से जुड़ा हुआ है, चुपके से पूछ कर देखिए वह आपको बता देगा कि यह योजना कितनी सफल होगी या होने वाली है। आप उस धान व अन्य फसल लेने वाले प्रकृति निर्भर किसान से भी पूछ कर देखिए उसने गौठान को लेकर अपनी क्या सोच बनाई थी और धरातल में हो क्या रहा है? योजना बेहतरीन है क्रियान्वयन की कोशिश भी बेहतरीन है लेकिन आखिर यह आवारा मवेशियों का झुंड रास्तों में क्यों दिखता है यह सवाल है।
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