Dhaara News

किसकी करनी किसकी भरनी? रिसाली के कांग्रेस नेत्रियों ने थामा बीजेपी का दामन

सत्य और सिद्धांत में, क्या रक्खा है तात ?
उधर लुढ़क जाओ जिधर, देखो भरी परात
देखो भरी परात, अर्थ में रक्खो निष्ठा
कर्तव्यों से ऊँचे हैं, पद और प्रतिष्ठा
जो दल हुआ पुराना, उसको बदलो साथी
दल की दलदल में, फँसकर मर जाता हाथी

ऊपर लिखा व्यंग्य इस मामले पर फिट बैठता है । खबर है कि तीन महिला कांग्रेसियों ने कल विधायक ललित चंद्राकर की उपस्थिति में भाजपा ज्वाइन कर लिया बताया जाता है कि संध्या वर्मा कांग्रेस सरकार में एल्डरमैन रही है। उन्हें पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के समर्थक के रूप में जाना जाता था। एल्डरमैन का सौभाग्य पाने वाली रिसाली नगर निगम में दूसरी महिला थी ।
इस दलबदल को घर वापसी के रूप में भी देखा जा रहा है। पहले भी वह भाजपा में ही थी ऐसा बताया जा रहा है यदि ऐसा है तो फिर पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने नियुक्ति क्यों की थी जिस पर अब सवाल उठ रहा है दबी जुबान से कांग्रेसी ही कहने वालों की भाजपाइयों को तवज्जो मिली।
फिलहाल लोकसभा के चुनाव जारी है इतने दिनों से इन लोगों ने दल बदल नहीं किया अचानक से दूसरे चरण के मतदान के बाद दल बदल हो गया। फिलहाल पूर्व मंत्री साहू महासमुंद से वापस आ गए हैं।
वहीं कांग्रेस नेत्री अनुपमा गोस्वामी कभी जोगी कांग्रेस में थी फिर कांग्रेस में आई अब भाजपा में शामिल हो गई। कांग्रेस नेत्री राजेश्वरी पसीने ताम्रध्वज साहू के बहू सरिता साहू के गुट की बताई जाती हैं। उनके हर कार्यक्रमों में पूर्व में देखा जाता था।
फिलहाल कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू की मुश्किलें रिसाली निगम क्षेत्र में बढ़ गई है। लगातार दल बदल हो रहे हैं जिस पर कोई नियंत्रण नहीं है इससे पूर्व भी पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के बेहद करीबी नेता लगातार बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में सवाल पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के 5 साल के कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है। और क्या ऐसे निष्ठावान समर्थक तैयार हुए थे जिधर बम उधर हम।

कई कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को हाशिए में धकेलकर दल बदलूओ और मौका परस्तों को खूब मौका दिया गया। जिसका परिणाम लोकसभा प्रत्याशी राजेंद्र साहू को इस चुनाव मे भुगतना पड़ सकता है। चुनाव में कुछ ही दिन शेष है लेकिन रिसाली निगम क्षेत्र में कांग्रेसियों के मध्य कुछ ठीक नहीं चल रहा है वक्त की नजाकत कहती है राजेंद्र साहू सुलझे हुए नेता है उन्हें ताम्रध्वज साहू के भरोसे और सिपह सलाहकारों के सहारे नहीं रहना चाहिए। नई टीम गठित करके चुनाव लड़ना चाहिए नहीं तो बेहतर परिणाम की आशा छोड़ देनी चाहिए।

 

dhaaranews
Author: dhaaranews

Facebook
Twitter
WhatsApp
Reddit
Telegram

हमसे जुड़े

Weather Forecast

DELHI WEATHER

Gold & Silver Price

पंचांग