छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आ सके 2023 विधानसभा चुनाव के बनिस्बत लोकसभा में टिकट वितरण बेहतर हुआ था। कांग्रेस के अंदर खाने से लेकर बाहर की चर्चा थी कि इस बार 4 से 5 सीटों में जीत हासिल हो सकती है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के अपेक्षा इस बार एक सीट और कम हो गई।
पूरे देश में कांग्रेस का ग्राफ अप्रत्याशित रूप से बढ़ गया लेकिन छत्तीसगढ़ में परिणाम कांग्रेस के अपेक्षा अनुरूप नहीं आ पाया।
विधानसभा चुनाव में 71 से 35 सीटों पर आने के बाद भी कोई नैतिक जिम्मेदारी लेने वाला कांग्रेसी खुलकर सामने नहीं आता ना हीं लोकसभा चुनाव के पहले तक कोई बदलाव किए गए।
लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश के सबसे चर्चित नेता भूपेश बघेल स्वयं चुनाव हार गए। सारे सोशल इंजीनियरिंग फेल हो गए। मात्र कोरबा सीट ही कांग्रेस बचा सकी।
बदलाव की जरूरत
कांग्रेस संगठन को भाजपा से सीखना चाहिए जीतने के बाद प्रदेश अध्यक्ष तो बदले ही बल्कि कई जिला अध्यक्ष को भी बदल दिया गया नीचे लेवल पर भी कई बदलाव किए गए लेकिन कांग्रेस में इस तरह की बदलाव की बात देखी ही नहीं गई। जिसके कारण कई कांग्रेस के कद्दावर नेता कांग्रेस से दल बदल कर भाजपा में भी चले गए। साल 2023 में मात्र 11 जिला अध्यक्ष को जरूर बदला गया था। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में फिर पुराने और बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में “वक्त है बदलाव का” के कैंपेन को अपने ऊपर लागू करना चाहिए और बूथ लेवल से लेकर प्रदेश लेवल तक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ऐसे में नए लोगों को मौका मिलेगा और नई ऊर्जा मिलेगी।
पुराने चेहरे पर लोगों ने भरोसा ही नहीं किया यह लोकसभा चुनाव परिणाम में दिखाई दे रहा है।
बूथ लेवल में बहुत कमजोर मैनेजमेंट
पूरे चुनाव में भाजपा ने अपने बूथ लेवल में बेहतर काम किया है जब सरकार नहीं थी फिर भी बूथ मैनेजमेंट का काम बेहतर तरीके से संचालित किया गया लेकिन कांग्रेस में सरकार रहने के बावजूद बूथ लेवल में कोई काम नहीं हुआ है जिसका परिणाम लोकसभा में कांग्रेस को भुगतना पड़ा है अगर बूथ लेवल में भी बदलाव नहीं हुआ तो तकलीफ कांग्रेस को ही होनी है आगामी निकाय और पंचायत चुनाव में भी भारी नुकसान होना तय है। बूथ लेवल में भाजपा ने कैडर तैयार किया है लेकिन, कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की कमी हर बूथ में नजर आती है। जिस पर काम किया जाना चाहिए।
कार्यकर्ताओं को नहीं मिल रही तवज्जो एक ही व्यक्ति कई सालों से पद में
कांग्रेस संगठन में कई सालों से एक ही व्यक्ति एक ही पद पर बैठा हुआ है इन पदाधिकारियों ने अपने नेतृत्व में ही पार्टी को लीड नहीं दिला सके ऐसे लोगों पर ही अभी तक संगठन में भरोसा जताया जा रहा है। कई पुराने कार्यकर्ता उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं और उन्हें प्रदर्शन करने का मौका ही नहीं मिल रहा है बड़े नेताओं के चहेते को पद दे दिया गया है लेकिन जमीनी सक्रियता बेहद ही कम है प्रदेश अध्यक्ष को भी कांग्रेस को बदलने की जरूरत है और नए सिरे से संगठनात्मक बदलाव से ही कांग्रेस में नवीनता आ सकती है और यह प्रयोग कर लेना कोई गलत भी नहीं है। राष्ट्रीय स्तर में कांग्रेस ने बदलाव किया जिसका परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को मिला है लेकिन छत्तीसगढ़ में यही एक वजह है जिसकी वजह से कांग्रेस मात खा गई।