दुर्ग लोकसभा चुनाव का रण जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे मामला और पिक्चर साफ होता दिख रहा है। बीजेपी के दुर्ग लोकसभा प्रत्याशी और मौजूदा सांसद विजय बघेल टिकट घोषणा होने के बाद से 4 – 6 लाख वोटो से जीत का का दावा तो कर रहे थे लेकिन अब वह दावा चकनाचूर होते दिख रहा है। लोग यह कहने लगे हैं कि अगर जीत भी होगी तो लीड कम होगी।
चुनावी समर में कई समीकरण बन रहे हैं तो कई जगह नाराजगी दिख रही है जिस लेवल में दलबदल हो रहा है उससे कांग्रेस कमजोर लगती है उसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय बघेल के पक्ष में माहौल नहीं बन पा रहा है सामाजिक वोट बैंक भी विजय के हाथों से खिसक रहा है। भूपेश बघेल अपने चुनाव के बाद दुर्ग लोकसभा में भी कूद गए हैं जिससे कुर्मी समाज कांग्रेस के पक्ष में जा सकता है। कुर्मी समाज की तासीर पहले से ही कांग्रेसी रही है विजय बघेल खुद पहले कांग्रेस में रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ में इससे पूर्व कुर्मी समाज से मुख्यमंत्री थे। विजय बघेल लगातार पूर्व सीएम भूपेश बघेल के विरोध में कई बयान बाजी करते रहे हैं ऐसा गतिरोध साहू समाज में नहीं होता अपने संसदीय कार्यकाल में सबसे ज्यादा विरोध विजय बघेल ने यदि किसी का किया तो वह भूपेश बघेल ही हैं । जिसका खामियाजा उन्हें इस चुनाव में कुर्मी समाज दे सकती है पिछले बार सामने भी कुर्मी प्रत्याशी थी जिससे साहू समाज विजय बघेल के पक्ष में मतदान किया लेकिन इस बार कांग्रेस ने सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है।
पाटन के समीकरण से बिगड़ेगा खेल
यह जानना बेहद जरूरी है की पाटन विधानसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने क्षेत्र को पिछली बार सांसद चुनाव में जीता नहीं पाए थे इसका एक प्रमुख कारण था साहू समाज की बाहुल्यता और विजय बघेल का स्थानीय होना जिसके कारण प्रतिमा चंद्राकर भारी वोटों से हारी। लेकिन इस बार समीकरण अलग ही है साहू समाज इस बार कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर सकता है जिसके कारण यहां का रिजल्ट टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। आज भूपेश बघेल पाटन दौरे पर हैं वह जगह-जगह जनसंपर्क करेंगे।
बताया जा रहा है कि सांसद विजय बघेल की निष्क्रियता के कारण बेमेतरा जिला में भी राजेंद्र साहू आगे रह सकते हैं। बहुत अरसे बाद क्षेत्र से प्रतिनिधित्व का मौका मिला है जिसको बेमेतरा जिला हाथ से नहीं जाने देना चाह रही है।
मोदी की गारंटी पर प्रत्याशी के निष्क्रियता के चर्चे
लोग मोदी को चाहते तो हैं लेकिन दुर्ग लोकसभा में सांसद विजय बघेल बेहद ही निष्क्रिय रहे हैं। युवाओं में भी बेहद निराशा है लोग बताते हैं यहां कोई काम नहीं हुए ना कोई सकारात्मक सहयोग मिला, ना क्षेत्र में उनके द्वारा कोई उत्कृष्ट योगदान दिया गया। कई निर्वाचित जन प्रतिनिधि उनके ही पार्टी के लोग भी नाराज हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी में नाराजगी बाहर नहीं दिखती। दबी जुबान से यह लोग कहते भी हैं कि क्षेत्र में कांग्रेस शासन में बेहद काम हुआ है लेकिन सांसद निधि से अपेक्षाकृत काम नहीं हो पाए। और यही निष्क्रियता मोदी की गारंटी पर भारी पड़ रही है।
चुनाव में ही दर्शन देते हैं कई प्रदर्शनों में रहे नदारद
दुर्ग लोकसभा के अधिकतम विधानसभा में कांग्रेस शासन में बीजेपी द्वारा विधानसभा स्तरीय प्रदर्शन हुए जगह-जगह मुख्यमंत्री गृह मंत्री के पुतले फूंके गए, निगम कार्यालय घेराव से लेकर कई जन आंदोलन किए गए लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच ऐसे मौके पर विजय बघेल बहुत ही कम मौजूद रहे। लोगों का यह भी कहना है कि यदि वह यहां नहीं थे दिल्ली दौरे में रहते होंगे तो दिल्ली में क्षेत्र की समस्याओं को क्यों नहीं रखा गया। अभी हाल ही में भिलाई इस्पात संयंत्र के कई कर्मचारी यूनियनों का समर्थन राजेंद्र साहू को मिला है। विजय बघेल के विरोध में पर्चा बांटा जा रहा है जो साफ संदेश है कि विजय बघेल की हालत भिलाई क्षेत्र में भी अच्छी नहीं है। संगठन भी विधानसभा चुनाव जैसा सक्रिय नहीं है।
BSP की खाली जमीन में काबिज लोगों के बीच अडानी वाली हवा
पूरे भिलाई क्षेत्र में यह चर्चा है कि बीएसपी बिकने वाली है इसके संबंध में एक पर्चा भी वायरल हो रहा है जो क्षेत्र में कौतूहल का विषय बन गया है।
कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू इस बात को लगातार कह रहे हैं कि बीएसपी को अदानी खरीद सकती है और वह कह रहे हैं कि हम बिकने नहीं देंगे।
इस मामले पर विजय बघेल का कोई बड़ा बयान नहीं सामने आया ना कोई खंडन किया गया है। यहां बताना लाजमी होगा बीएसपी निजीकरण की ओर ही है। सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है और ठेका कर्मियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
यदि अदानी भिलाई इस्पात संयंत्र खरीदती है तो सरकारी नौकरी के संकट के अलावा क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन पर काबिज लोगों को हटाया भी जा सकता है यह चर्चा अब आम हो रही है। लोग यहां तक कहने लगे हैं कि विजय बघेल अदानी से कैसे लड़ेगा। पुरैना, जोरातराई, मरोदा, नेवई, रूआबांधा, खुर्सीपार,कैंप भिलाई, डबरापारा में भी पर्चे के खूब चर्चे हैं।
बहरहाल मात्र मोदी की गारंटी पर या उनके चेहरे पर विजय बघेल चुनाव जीत पाए यह संभव नहीं दिख रहा उन्हें कड़ी मेहनत की आवश्यकता होगी कांग्रेस का घोषणा पत्र ग्रामीण इलाकों में भी पहुंच रहा है और एक लाख के फॉर्म की भी जबरदस्त चर्चा है अब देखना यह होगा की 7 मई को फ्लोटिंग वोटर की धारा किधर बहती है।