दुर्ग लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ग्रामीण दुर्ग शहर, भिलाई नगर वैशाली नगर एवं पाटन विधानसभा क्षेत्र में जगह-जगह जनसभाएं की।
जिससे खासा उत्साह कांग्रेसियों में बन गया।
विपक्ष में रहते हुए भी जिस तरह से लोगों की भीड़ भूपेश बघेल को सुनने के लिए हुई इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी भी कका का स्वैग चल रहा है।
विधानसभा चुनाव में ऐसा माहौल नहीं
सत्ता में रहते हुए कई कर्मठ कांग्रेसियों को हाशिए पर धकेल दिया गया था ना उन्हें चुनाव में कोई जिम्मेदारी मिली ना संगठन में कोई दायित्व मिला है जो है सो है की स्थिति में चुनाव लड़ने के कारण बड़े-बड़े मंत्री हार गए लेकिन इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, विधायक देवेंद्र यादव को लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने से खासम खास कार्यकर्ता अपने-अपने नेता के चुनावी कैंपेन में जुट गए थे। जिसके कारण सांसद प्रत्याशी राजेंद्र साहू ने पुराने कार्यकर्ताओं को उचित मान सम्मान और जिम्मेदारी दे दी। उन्होंने संगठन से उठकर भी उन काबिल कार्यकर्ताओं को अपने टीम में शामिल किया और चुनावी कैंपेन का हिस्सा बनाया जिसके चलते अपेक्षाकृत विधानसभा से बेहतर परिणाम मिल सकता है।
लोकसभा चुनाव और विधानसभा का परिवेश बिल्कुल अलग होता है।
लेकिन कार्यकर्ताओं को जब सम्मान मिलता है तो भीतर घात की संभावना नगण्य हो जाती है।
कई कांग्रेसियों के दल बदलने से भी कांग्रेस को फायदा हो गया है क्योंकि वंचित कार्यकर्ताओं को उनके स्थान पर दायित्व मिल गया।
पाटन, दुर्ग ग्रामीण और दुर्ग शहर में नेताओं की साख दांव पर
राजेंद्र साहू पूर्व में Ex सीएम भूपेश बघेल को लगातार दो चुनाव पाटन में जीता चुके हैं साहू मतदाताओं की संख्या यहां ज्यादा है तो वही कुर्मी समाज को रिझाने की जवाबदारी भूपेश बघेल के कंधों पर है अपने साथी को पाटन से लीड दिलाने की जवाबदारी इस बार भूपेश बघेल के कंधों पर आ गया है तो वही पूर्वमंत्री ताम्रध्वज साहू पर भी दुर्ग ग्रामीण जीताने का दबाव है। हालांकि साहू समाज पहले की तरह इस बार नाराज नहीं है राजेंद्र साहू के समर्थन में साहू समाज एकजुट दिख रहा है। लेकिन इस विधानसभा में राजेंद्र साहू ने युवा कांग्रेस, एनएसयूआई महिला कांग्रेस की टीम को अलग ही दायित्व दिया है तो वहीं पुराने कई कांग्रेसियों को जवाबदारी की गई है। दुर्ग शहर में 48000 वोटो से हारने वाले पूर्व विधायक अरुण वोरा पर भी अपनी पहचान बरकरार रखने और सम्मानजनक वोट दिलाने का दबाव है।
बहरहाल भूपेश बघेल के जनसभाओं से यह बात तो साफ है कि कांग्रेसी एकजुट हुए हैं तो वहीं इसे परिणाम में बदलने की जवाबदारी कांग्रेसियों की ही है।
बहरहाल जनसभा के आयोजनों से यह बात साफ हुई है कि मामला अब एक तरफ नहीं है बल्कि बहुत हद तक कांग्रेसियों ने गड्ढा पाट लिया है। यह भी कहा जा सकता है कि कई कांग्रेसी इस भ्रम में जी रहे हैं कि कहां जीतेंगे लेकिन इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि पूरे क्षेत्र में अंडर करंट महसूस किया जा सकता है। बीजेपी उस तरीके से माहौल नहीं बना पाई जो मोमेंटम पहले मिला था या तो भाजपा कार्यकर्ता आश्वस्त हैं या प्रत्याशी में ओवर कॉन्फिडेंट आ चुका है।
महिलाओं की भीड़ ज्यादा
कांग्रेस ने इस बार महिला वोटर को साधने के लिए पूरे दुर्ग लोकसभा में अपना एक प्लान बनाया है, तो वही महालक्ष्मी न्याय योजना में बंपर फॉर्म भरवाए गए हैं। आयोजनों में महिलाओं की भीड़ ने बता दिया है कि नारी न्याय योजना को लेकर काफी उत्साह है। यदि महिला वोटर कांग्रेस को मिल गया तो तय है कि रिजल्ट चौंकाने वाले ही होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री का काफिला लगभग 3 घंटे से लेट चल रहा था उसके बावजूद महिलाएं टस से मस नहीं हो रही थी।
उक्त जनसभा में पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, विधायक कुंवर सिंह, पूर्व विधायक अरुण वोरा, छन्नी साहू सहित तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।