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ईरान पर बम गिरा पाकिस्तान ने अपने पैर पर मार दी कुल्हाड़ी, जानें भारत के हाथ कैसे लग गया ‘हथियार’

अपनी सीमा के भीतर ईरान के मिसाइल हमलों से बौखलाए पाकिस्तान ने पलटवार किया है। गुरुवार को उसने ईरान के भीतर बलूच चरमपंथी संगठनों के ठिकानों पर हवाई हमले का दावा किया। हालांकि, ऐसा करते वक्त पाकिस्तान ने एक बड़ी गलती कर दी है। उसने भारत को अपने खिलाफ एक बड़ा हथियार मुहैया करा दिया है।

नई दिल्ली : पश्चिम एशिया में 3-4 महीने से चल रहे इजरायल-हमास युद्ध की वजह से जारी तनाव के बीच ईरान और पाकिस्तान का एक दूसरे की सरजमीं पर हमले से स्थिति और बिगड़ सकती है। मंगलवार को ईरान ने पाकिस्तान की सीमा के भीतर कथित सुन्नी आतंकी समूहों के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। उसने दावा किया कि ये आतंकी समूह उसके यहां सक्रिय हैं और पाकिस्तान से संचालित हैं। इस हमले के बाद पाकिस्तान को पहले से तो कुछ सूझ नहीं रहा था कि करे तो क्या करें। वह काफी दबाव में था। 5 साल पहले भारत की बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद अब ईरान के हमले से उसके ऊपर कमजोर देश का ठप्पा लगने का खतरा था। लिहाजा ये दिखाने के लिए वह कमजोर मुल्क नहीं है, उसे कार्रवाई करनी थी। गुरुवार तड़के उसने भी ईरान की सीमा में घुसकर एयर स्ट्राइक का दावा किया। उसने भी वही ग्राउंड गिनाया जो ईरान ने गिनाया था यानी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने संगठनों पर कार्रवाई। ईरान के भीतर एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान ने ये संदेश देने की कोशिश की कि वह अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करने वाला है। हालांकि, ऐसा करते वक्त उसने एक बड़ी कूटनीतिक चूक कर दी। उसकी कार्रवाई से भारत की तरफ से भविष्य में बालाकोट जैसी और एयर स्ट्राइक का रास्ता भी साफ हो गया है।

ईरान की एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान बिलबिला रहा था। विरोध में उसने तेहरान से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया और ईरानी राजदूत को निष्कासित कर दिया। पाकिस्तानी सेना के ऊपर ‘बदले की कार्रवाई’ करने का घरेलू दबाव था। भारत, अफगानिस्तान के बाद अब एक और पड़ोसी ईरान भी उसके यहां आतंकी ठिकानों पर खुलेआम हमला कर रहा है। परमाणु ताकत होने के बावजूद कोई भी उस पर हमला कर दे रहा। इससे न सिर्फ उसकी छवि एक कमजोर, लाचार देश की बन रही थी बल्कि आतंकवाद के पनाहगाह के तौर पर भी पुख्ता हो रही थी। लिहाजा ईरान पर पलटवार उसकी मजबूरी थी। गुरुवार को उसने दावा किया कि उसने ईरान के सिस्तान-ओ-बलूचिस्तान प्रांत में आतंकियों के छिपने के कथित अड्डों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की है जिसमें कुछ ‘आतंकी’ मारे गए हैं।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ईरान के भीतर की गई सैन्य कार्रवाई के बारे में बताया। बयान में कहा गया कि इस इंटेलिजेंस-बेस्ड ऑपरेशन का नाम ‘मर्ग बार सर्मचार’ था। इसका शाब्दिक अर्थ ‘गुरिल्ला लड़ाकों की मौत’ है। दरअसल बलूचिस्तान के चरमपंथियों को सर्मचार कहा जाता है। सीएनएन की एक न्यूज रिपोर्ट में ईरान के सिस्तान-ओ-बलूचिस्तान प्रांत के डेप्युटी गवर्नर अलीरेजा मरहामति के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तानी कार्रवाई में 7 लोगों की मौत हुई है जिसमें 3 महिलाएं हैं और 4 बच्चे। मरने वाले सभी लोग विदेशी हैं यानी हमले में किसी भी ईरानी नागरिक की मौत नहीं हुई है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ईरान में पाकिस्तानी मूल के आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाह हैं और इसे लेकर इस्लामाबाद ने पिछले कई सालों से लगातार तेहरान के सामने गंभीर चिंता जताता रहा है। पाकिस्तान ने ईरान में इन आतंकियों की मौजूदगी और गतिविधियों के बारे में तेहरान को तमाम डोजियर के माध्यम से पुख्ता सबूत भी मुहैया कराए थे। बयान में कहा गया है कि ईरान ने इन ‘सर्मचार’ पर कोई कार्रवाई नहीं की और वे बेगुनाह पाकिस्तानियों का खून बहा रहे थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी कार्रवाई इस बात का प्रतीक है वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ हर तरह के खतरे से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। वह अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर तरह के जरूरी कदम उठाना जारी रखेगा।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के तरफ से जारी बयान में आगे कहा गया, ‘पाकिस्तान इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान करता है। आज की कार्रवाई का इकलौता उद्देश्य पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हित सुनिश्चित करना है जो सर्वोपरि है और जिसके साथ कोई समझौता नहीं हो सकता।’

पाकिस्तान ने ईरान को सख्त संदेश देने के लिए उसकी सीमा में घुसकर सैन्य ऑपरेशन को अंजाम तो दे दिया लेकिन यहां वह एक बड़ी भूल कर चुका है। उसने ईरानी सीमा के भीतर की गई अपनी इस कार्रवाई के बचाव में कहा है कि ये उसके राष्ट्रीय हितों, राष्ट्रीय सुरक्षा और अपने लोगों की रक्षा के लिए जरूरी थी। वह अपने राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। उसने बयान में जोर देकर कहा कि ईरान की सरजमीं पर कुछ ऐसे संगठन बेरोकटोक सक्रिय हैं जो पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ऐसे तत्वों की मौजूदगी और उनकी गतिविधियों को लेकर उसने ईरान को कई बार सबूत भी सौंपे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए ये कार्रवाई जरूरी थी। लेकिन पाकिस्तान ने ईरान सीमा के भीतर अपनी सैन्य कार्रवाई को जायज ठहराने के लिए ये जो वजहें गिनाई हैं, उससे भारत की तरफ से भविष्य में उसकी सीमा के भीतर बालाकोट जैसी और एयर स्ट्राइक का रास्ता साफ हो सकता है।फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक की थी और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया था। अब पाकिस्तान ईरान में कार्रवाई को लेकर जो वजहें गिना रहा है, उन्हीं ग्राउंड पर भारत उसके यहां घुसकर कार्रवाई कर सकता है। ये कोई छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तान दुनियाभर के कुख्यात आतंकियों का सुरक्षित पनाहगाह है। मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड से लेकर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आतंकी घोषित किए गए तमाम दहशतगर्दों का वह सुरक्षित ठिकाना है। पाकिस्तानी सेना और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई बीते कई दशकों से भारत के खिलाफ आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के एक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया है। भारत दशकों से सीमा-पार आतंकवाद का पीड़ित रहा है। पाकिस्तान ने ईरान के भीतर कार्रवाई करके एक तरह से भारत को खुद अपने यहां घुसकर एंटी-टेरर ऑपरेशन चलाने का वाजिब कारण मुहैया करा दिया है। अब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट जैसी कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समझाना और ज्यादा आसान हो सकता है।

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Author: dhaaranews

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