गुलाब @ अंजोरा
दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के अंतर्गत पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, अंजोरा के सभागार में 16 सितंबर 2022 को भारत की भारत सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना अंतर्गत मैत्री प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. (कर्नल) एन.पी. दक्षिणकर ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया । कार्यक्रम में डॉ.एस.एल.उइके मुख्य कार्यकारी अधिकारी, छत्तीसगढ़ पशुधन विकास अभिकरण, रायपुर, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.आर.के.सोनवाने, वित्त अधिकारी श्री एस.बी.काले, निदेशक विस्तार शिक्षण डॉ.संजय शाक्य, अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी, नोडल अधिकारी मैत्री प्रशिक्षण डॉ. एम.के. अवस्थी, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी, डॉ.किशोर मुखर्जी, डॉ.विकास खूणे, डॉ.ओ.पी.दीनानी, डॉ.अमित गुप्ता, प्राध्यापक/विभागाध्यक्ष एवं 56 मैत्री प्रशिक्षणार्थियों की गरिमामय उपस्थिति कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता प्रशिक्षण का समापन एवं प्रमाण पत्र वितरण संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.(कर्नल)एन.पी. दक्षिणकर ने प्रशिक्षणार्थियों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं में टीकाकरण एवं पोषण हेतु बहुत ही उपयोगी है ।उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय एवं पशुधन विकास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में चल रहा है। अंजोरा के मैत्री संस्थान के दूसरे एवं तीसरे बैच के कुल 56 प्रशिक्षणार्थियों का 90 दिनों का यह प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। छत्तीसगढ़ में यह योजना स्वरोजगार का एक अच्छा माध्यम है। इससे मैदानी स्तर पर नस्ल सुधार के कार्य को गति मिलेगी, जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। कृत्रिम गर्भाधान द्वारा क्रॉस ब्रीडिंग के माध्यम से नस्ल सुधार का कार्यक्रम सुचारु रुप से संचालित किया जा रहा है । पशुपालन के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर पशुपालक ज्यादा से ज्यादा आय प्राप्त कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विगत 2 वर्षों से दुर्ग, महासमुंद,जगदलपुर और सूरजपुर में सफलतापूर्वक जारी है । छत्तीसगढ़ पशुधन विकास अभिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.एस.एल.उइके ने बताया कि मैत्री प्रशिक्षण द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को तैयार करने में विश्वविद्यालय का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। विदित हो कि अभी तक 138 प्रशिक्षणार्थियों को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में 3000 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मैत्री प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी डॉ.एम.के. अवस्थी ने इस अवसर पर बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को 30 दिनों का क्लासरूम तथा 60 दिनों का मैदानी प्रायोगिक प्रशिक्षण इन चयनित प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में कृत्रिम गर्भाधान का कार्य सुचारु रुप से संपादित किया जावेगा। सामाजिक दायित्व के माध्यम से गोबर, गोमूत्र, जीवामृत अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं । इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य शासन पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन में विशेष ध्यान दे रही है । कार्यक्रम का संचालन डॉ.निशा शर्मा एवं डॉ. राजकुमार गड़पायले द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।