संवाददाता रिसाली।
जहां जरूरत नहीं वहां जरूरत से ज्यादा काम होने लगे तो समझ जाइए विकास नहीं विनाश हो रहा है रिसाली निगम क्षेत्र में इन दोनों विनाश का कहर जारी है जी हां तथाकथित कंक्रीटकरण को विकास का पैमाना बताया जा रहा है वह विकास लोगों के लिए विनाश साबित हो रहा है।
दरअसल में यह मामला रिसाली सेक्टर क्षेत्र में बीएसपी क्वार्टर्स के ब्लॉक में हो रहे सीमेंटीकरण से जुड़ा है।लोग परेशान है इनसे होने वाले नुकसान से लोग पहले ही वाकिफ हैं लेकिन अभी हाल फिलहाल सीमेंटीकरण को क्वार्टर के लेवल से ऊंचा कर दिया गया है जिसके कारण पानी निकासी होने में समस्या हो रही है। सीमेंटीकरण के दूसरे दिन ही समस्या होने लग रही है।
बरसात में क्वार्टर क्षेत्र में घरों में जल्दी पानी भर जाने की समस्या रहती है नालियों की मरम्मत के बजाय ब्लॉक में कंक्रीटकरण किया जा रहा है। सड़क, पुल पुलिया का विकास होना चाहिए लेकिन सीमेंटीकरण विकास नहीं है यह नेताओं को कब समझ आएगा। क्षेत्र में वाटर लेवल डाउन करने के उद्देश्य से शायद रिसाली नगर निगम यह काम कर रहा है।
अब वहां रहने वाले बीएसपी कर्मी एवं पुलिसकर्मी दूसरे क्वार्टर की तलाश में लगे हैं क्वार्टर लेवल को ऊंचा करने के लिए लाख रुपए से कम का खर्चा नहीं होना है।
फायदे का काम लेकिन कायदे का नहीं
सिमेंटीकरण विकास के नाम पर पैसा कमाने का बेहतर जरिया जरूर है। ठेकेदारों को उपकृत कर चुनावी साल में कुछ मिल जाए इस उद्देश्य से भी कंक्रीटकरण हो रहा है।
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए रिसाली निगम विकास के लिए प्रतिबद्ध है जिसके चलते भिलाई इस्पात संयंत्र के ढांचे को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है भिलाई इस्पात संयंत्र के पास इतना पैसा होने के बावजूद सौंदर्यीकरण के नाम पर पेवर ब्लॉक से ज्यादा नहीं करती जहां पेवर ब्लॉक होना चाहिए वहां रिसाली नगर निगम सीमेंटीकरण कर रहा है और जहां पेवर ब्लॉक नहीं होना चाहिए वहां पेवर ब्लॉक लग रहा है।
जनता को सुविधा देने के नाम पर सीमेंटीकरण कर सेक्टर क्षेत्र के निवासियों के साथ अन्याय किया जा रहा है, भीषण गर्मी में सेक्टर क्षेत्र के लोगों के लिए निगम ने पूरी तैयारी कर रखी है। जिसका परिणाम आगामी चुनाव में 17 नवंबर को मिलने वाला है। हालांकि रिजल्ट जो है 3 दिसंबर को निकलेगा लेकिन 17 नवंबर को भी रुझान पता चल जाएगा। आखिर कंक्रीटकरण से जनता को सुविधा तो नहीं मिली बल्कि मोटा माल बनाया गया और यह माल कहां गया यह भी बड़ा सवाल है। कुछ पार्षद नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं हमें बिना पूछे काम किया जा रहा है ना हमारी अनुमति की जरूरत है ना किसी अनुशंसा की,ना हमारा काम हो रहा है हम जो कह रहे हैं उसके छोड़ बाकी सब हो रहा है। जिसके चलते पार्षदों को भारी गाली भी पड़ रही है यहां तक वोट नहीं देने की धमकी भी मिल रही है।