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लोगों की आंखों में धूल कैसे झोंका जाए,यह अवैध रेत खनन का धंधा कैसे रोका जाए फिर रात के अंधेरे में खनन चालू

गुलाब देशमुख @ दुर्ग

  • गाड़ी किसकी थी, खुदाई कौन कर रहा सारी चीजों की जानकारी अधिकारियों के पास लेकिन यह टाइम पास है।
    खबरों के हेडिंग में मत जाइए अपने गिरेबान में जाइए साहब।


कुछ दिन पहले दुर्ग राजस्व विभाग की टीम ने जेवरा सिरसा चौकी अंतर्गत अवैध तरीके से हो रहे रेत उत्खनन के मामले में कार्रवाई करने पहुंचते हैं जहां ड्राइवर लाखों लाख चैन माउंटिंग्स, हाइवा को छोड़कर भाग जाते हैं।
इसका जमकर प्रचार प्रसार किया गया बड़े-बड़े अखबारों ने फ्रंट पेज में जगह दी। लेकिन वह ड्राइवर कौन था गाड़ी किसकी थी यह किसी को पता नहीं चलेगा क्योंकि सब टाइम पास है लोगों की आंखों में धूल कैसे झोंका जाए।
विभाग इसका जब्ती बनाएगा खनिज विभाग कार्रवाई करेगा और इतिश्री कर लेगा। मतलब सेटिंग कर लेगा।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में खनिज विभाग किस नाकामी तक पहुंच चुका है इसको बताने की जरूरत नहीं है। सीधे तौर पर खनिज विभाग का अधिकारी रेत के अवैध खनन में लगा हुआ है यह कह दिया जाए तो भी कोई गलत नहीं होगा।
कौन सरपंच, जनपद अध्यक्ष, कौन जिला पंचायत अध्यक्ष,कौन महापौर और कौन विधायक और कौन मंत्री कौन भ्रष्ट नहीं है। सिस्टम पर थूक देना थूक का अपमान हो जाएगा।


यह दलाली आखिर किसके लिए करते हैं अधिकारी?
कुछ दिन पूर्व हुए इस कार्रवाई में लग रहा था कि राजस्व विभाग बड़ी मुस्तैदी से लगा हुआ है लेकिन असलियत यह है रात के अंधेरे में फिर से खनन चालू हो गया है।
ऐसा नहीं है कि ग्रामीण इलाकों में बुद्धिजीवी नहीं रहते अवैध कार्यों का विरोध नहीं होता कोई सामने नहीं आता इसका मतलब यह नहीं है कोई आपको देख नहीं रहा है।
दुर्ग जिले के ग्रामीण हिस्सों में जहां पर रेत का स्रोत है वहां गिद्ध नजर गड़ाए हुए नेता अपनी सरकार आते देखना चाहते हैं या अधिकारियों से पारिवारिक रिश्ता निभाकर या कहें साठगांठ कर रेत की अवैध चोरी कर  माफिया गिरी को अंजाम देते हैं।
गांव में छूट भैया नेता गाड़ी रुकवा देते हैं कार्यक्रम के लिए बड़ा चंदा के साथ पैसा मिल जाता है फिर जितना चाहे उतना खोद लीजिए।
कोई कुछ नहीं रहेगा उनको मुख्य अतिथि बनाकर सम्मान भी करा दिया जाएगा। राजस्व विभाग का अदना सा कोटवार भला लाखों कमाने वाले एसडीएम को या तहसीलदार को क्यों बुलाएगा उसके भी तो बीवी बच्चे हैं। सोने का चैन, अंगूठी पहनने वाले बड़े-बड़े अधिकारी मुख में गुटखा रखकर ढंग से शिकायतकर्ता की बात नहीं सुनते न फोन उठाते हैं। और उल्टा उन्ही से पूछते हैं कि यह किसकी गाड़ी है वह किसकी गाड़ी है जबकि पता पूरे सिस्टम को है। एक मंत्री का नाम आएगा या कहें फोन आएगा सारी कार्रवाई धरी की धरी रह जाएगी।

 

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Author: dhaaranews

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