आईआईटी भिलाई ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिसके जरिए आधा घंटा पहले मोटर खराब होने की जानकारी मिल जाएगी। इस उपकरण के जरिए किसी उद्योग को होने वाला लाखों-करोड़ों का नुकसान बच जाएगा। उपकरण को फिलहाल भिलाई स्टील प्लांट में लगाया गया है। आईआईटी ने प्लांट में मोटर की खराबियों से जुड़े दो साल के आंकड़े जुटाए और इसे तैयार किया।
भिलाई। आईआईटी भिलाई ने ऐसा उपकरण तैयार है, जिससे मोटर खराब होने की जानकारी आधे घंटे पहले ही मिल जाएगी। इससे बड़े उद्योग करोड़ों रुपये के नुकसान से बच जाएंगे। यह उपकरण फिलहाल भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) ने लगाया है। इससे पिछले तीन महीने में उत्पादन के दौरान किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंची है। बीएसपी की मांग पर आईआईटी भिलाई ने इसे तैयार किया है। आईआईटी प्रबंधन का कहना है कि अगर किसी उद्योग से मांग आएगी तो उन्हें उपकरण तैयार करके दिया जाएगा।
बीएसपी प्रबंधन उत्पादन के दौरान बीआरएम (बार एंड रॉड मिल) में बार-बार होने वाली खराबी को लेकर परेशान था। इससे उसका सालाना उत्पादन का लक्ष्य प्रभावित हो रहा था। हादसों में जनहानि भी हो जाती थी। प्रबंधन ने भिलाई आईआईटी के समक्ष अपनी बात रखकर इसका समाधान निकालने में मदद मांगी थी।
आईआईटी भिलाई ने जुटाए दो साल के आंकड़े
आईआईटी ने बीएसपी के सहयोग से प्लांट में मोटर की खराबियों से जुड़े दो साल के आंकड़े जुटाए। कुछ अन्य स्टील प्लांट का भी सर्वे किया। डॉ गगन राज गुप्ता, सह प्राध्यापक, आईआईटी भिलाई ने असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विशवेष जटला और कंप्यूटर साइंस के छात्र रुद्रप्रताप सिंह व नमन अग्रवाल के साथ मिलकर यह उपकरण तैयार किया। इतना ही नहीं, आईआईटी ने बीएसपी के अधिकारियों और कर्मचारियों को इसका संचालन करने समेत अपग्रेड करने का भी प्रशिक्षण दिया।
कैसे काम करता है उपकरण?
इस उपकरण में दो हजार से ज्यादा सेंसर, पांच हाई स्पीड वाले कैमरे, हॉट मेटल डिटेक्टर और पैरामीटर का मेजरमेंट करने के लिए भी उपकरण लगाए गए हैं। यह पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत है। इस उपकरण का संबंध मोटर के सभी हिस्सों से रहता है। इससे मोटर में कहीं भी किसी प्रकार की कमी या उसके चालन में कोई गड़बड़ी नजर आते ही कंप्यूटर की स्क्रीन पर मोटर कर वह हिस्सा नजर आने लगता है।
मोटर के साइज से तय होगी लागत
ऐसे में मोटर को रोककर उसे तत्काल दुरुस्त कर लिया जाता है। इससे मोटर खराब हो जाने से लंबे समय तक उत्पादन रुकने और दुर्घटनाओं से होने वाले करोड़ों रुपये का नुकसान बच जाता है। आईआईटी प्रबंधन का कहना है कि जितनी बड़ी मोटर रहेगी, उसी आधार पर उपकरण तैयार करने की लागत आएगी।