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महंगाई, महामारी, मंदी बेरोजगारी और कारपोरेट और सरकार की जुगलबंदी पर सटीक विश्लेषण पढ़िए केवल धारा न्यूज़ पर

आइये कुछ डिकोड करते हैं
मान लेते हैं 70 साल से बुरे दिन चल रहे थे फिर भी किसी अनाम सी 200-300 करोड़ की कम्पनी में 1000 आदमी काम करते थे सबकी तनख्वाह एवरेज 10000 जो बेहद कम थी , जिसमे हर वित्त वर्ष में तनख्वाह को 10% बढ़ाने का नियम था, एम्पलाइज ने घर गाड़ी किश्तों पे ले लिए थे,दोनो के लिहाज से सब ठीक ठाक ही था , फिर भी लोगो मे बेहतरीन की तलाश थी , एक दिन पब्लिक के भाग खुल ही गए ,

कोई बड़े नसीब वाला आया, नोटबन्दी हुई , डिजिटल इकानामी को बढ़ावा दिया गया… टेक्स कलेक्शन के लिए GST लागू हुआ अब सब वेतन फटाफट अकाउंट में पहुच जाता , कम्पनी को व्यवसाय में इनपुट क्रेडिट मिलता, कम्पनी औऱ एम्पलाई दोनो को और भी अच्छे दिन आने की आस बंधी थी, कि न जाने कहा से ये मनहूस महामारी आ गई….सरकार द्वारा सब कुछ ठप्प करना अत्यंत ही आवश्यक घोषित कर दिया गया ,

कम्पनी ने 900 लोगो को निकाल दिया..बेहद मुश्किल आर्थिक स्थिति के चलते भी कम्पनी ने इस दरम्यान बेहद अहम 100 लोगो को 25% यानी 2500 की सेलेरी दी ….साल जैसे तैसे बीता महामारी का मायाजाल कम हुआ तो अब कम्पनी को शुरुआत में बाजार में कम मांग का सामना करना था, इसलिए कम्पनी ने कम माल उत्पादित किया ,तत्काल पैसे ले कर कम माल बेहद महंगे में बेचा

अब कम्पनी कीमते बढा कर कर्मचारियों का खर्च कम कर के जैसे तैसे 199.9 करोड़ पे आ गई ….इस दौरान कम्पनी ने अपने पुराने 100 एम्पलाइज से जमकर मेहनत करवाई, और अब उन्हें पूरी सेलेरी दी …मेहनती मैनेजर्स का वेतन बढ़ाया

हालात कम्पनी के लिहाज से तो कम काम कर के भी बेहतर हो गए , कम्पनी पे काम का प्रेशर औऱ बढा पुराने मैनेजर्स एम्पलाइज ने कम्पनी से काम के अत्यधिक दबाव की शिकायत की , एक एक पुराना एक्सपीरियंस एम्पलाई 10-10 का डिपार्टमेंट सम्भाल रहा था, अब कम्पनी ने नए 100 नए स्टाफ की नियुक्ति 5000 की सेलेरी पे की

अब कुल स्टाफ 200 लोगो का हो गया …इस बीच कम्पनी ने पुराने 100 लोगो की तनख्वाह को 10% से 20% और भी बढा दिया .. धीरे धीरे उन पुराने 100 एम्पलाइज लोगो के नीचे नए 100 लोगो को असिस्टेंट बना के पुराने एक्सपीरियंस एम्पलाइज के नीचे नियुक्त कर दिया ..कुछ ही महीनों में पुराने एम्प्लाइज को न्यू एम्पलाइज से रिप्लेस कर दिया गया, नए एम्पलाइज को 5000 को सेलेरी में तुरन्त 10% इंक्रीमेंट दे दिया गया …. अब 5000 की सेलेरी वाले 100 नए औऱ भर्ती कर लिए गए सारे नए औऱ युवा एम्पलाई बेहद उत्साहित थे, !

इसी महामारी दरम्यान सरकार द्वारा कम्पनी लॉ में चेंजेस किये गए …अब किसी को कभी भी निकाला जा सकता था ..कर्मचारियों की भविष्य निधि पेंशन नियम शर्तो की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई,

समय बीतने पे सभी एम्पलाइज नए औऱ अनुभवी बन चुके थे , जब तक वे 10000 की सेलेरी लाइन को पहुचे … फिर से उनके नीचे नए भर्ती कर लिए गए, याद रखिये अब सभी कम्पनीयो ने यह तरीका हमेशा के लिए अपना लिया है …..

आप यू समझिए कि अब कम्पनी महंगाई औऱ कमाई तो बढाती रहेगी… मगर नॉकरी पेशा लिमिट में रखा जाएगा … तू नही तो चल दूसरा ..हर महंगाई का मारा नए जॉब की कतार में खड़ा है ….पुराने एम्पलाई को बच्चो की फीस बिजली बिल मकान किराए गाड़ी फ्लेट किश्तों लोन चुकाने का दबाव बढ़ा … सभी का सिबिल स्कोर खराब हुआ … बाजार में रीसेल नीलामी बढ़ी …साथ ही महंगाई भी …

कालांतर में समझा जाएगा किस तरह से 100 साल पहले महामारी को कारपोरेट जगत के लिए एक बड़ा गेम चेंजर साबित होने के लिए ही डिजाइन किया गया था , महामारी को सफल बनाने के लिए खास किस्म के वायरस को बनाया फैलाया गया ..कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों पे बकायदा ड्रग ट्रायल किये गए, खतरनाक साइड इफेक्ट की दवाएं देकर मरीजो को अकेला रखा गया उन्हें पानी देने वाला नही था ,

न्यू वर्ल्ड ऑर्डर मानने वाली सरकारों को इससे कोई घाटा नही हुआ …वस्तुओं के दाम बढ़े तो GST कलेक्शन भी बढा , अगर कम्पनियों को घाटा हुआ तो अत्यधिक लाभ भी हुआ , अत्यधिक लाभ कमाने वाले आज घाटे वाली कम्पनियों को आने पौने में खरीद रहे है …एक स्क्रिप्टेड महामारी के मायाजाल ने विश्व की सभी सरकारों की सारी असफलताओ को ढक लिया है ..अमीर कारपोरेट औऱ अधिक अमीर बने हैं …. ये सिर्फ एक देश के लिए नही …

विश्व बैंक ,WTO ,WHO ,UN ,चीन रशिया को संग लेकर बड़े अमेरिकी कारपोरेट विश्व के महा धनी शातिर धन नियंताओ द्वारा रचा गया एक बड़ा वैश्विक खेल है….इसमें लोगो की जानो की कीमत चींटियों से ज्यादा नही है … जिसमे एक विश्व एक मुद्रा एक समान सोच,वित्तिय सामाजिक राजनीतिक अनुशासन जैसी सारी गोटिया सेट की जा चुकी हैं ……दुनिया को एक गैर जरूरी युद्ध मे उलझाया गया है …

इस दरम्यान भी हम अगर हालात की जड़ खोदने की जगह इतिहास के कुए बावड़ी तहखाने खोद रहे हैं, तो बाकी देशों में भी बाकी सरकारे जनता को उनके भावनात्मक मुद्दो पे लड़ाये उलझाए हुए है …! ..कितना भी लिख बोल लिया जाए कोई फर्क नही पड़ेगा फिर भी अगर हम में कही सोच समझ जिंदा हैं तो इस वक्त का विश्लेषण तो किया ही जायेगा …….लेख पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद !

प्रसिध्द कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय जी के फेसबुक वॉल से

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Author: dhaaranews

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