ग्राम अंडा से निकुम तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य हो रहा है जिसमें विनायकपुर गांव में बस्ती के चौड़ीकरण में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है जिसके चलते सड़क निर्माण आधा अधूरा है। ग्रामीण कह रहे हैं कि सड़क चौड़ीकरण की जद में आने वाले जमीन का मुआवजा देकर चौड़ीकरण के काम को पूर्ण किया जाना चाहिए। जिसके चलते अब प्रभावित ग्रामीण लामबंद हो रहे हैं।
32 करोड़ की लागत से बन रहा है सड़क
विदित हो कि अंडा से निकुम तक बन रहे इस सड़क निर्माण में 32 करोड़ की लागत आ रही है।
जिसके निर्माण में मुख्य दिक्कत विनायकपुर में चौड़ी करने में आ रही है। ग्रामीणों का अनुमान है कि मुश्किल से मुआवजा एक करोड़ से ऊपर नहीं जाएगा लेकिन शासन प्रशासन देना नहीं चाहती। हमारे पास जमीन का पट्टा है उसके बाद भी जो नियम कायदे से मुआवजा दिया जाना चाहिए वह नहीं दिया जा रहा है।
मंत्री ताम्रध्वज साहू से लोग हैं नाराज
क्षेत्र के विधायक ताम्रध्वज साहू पीडब्ल्यूडी विभाग के मंत्री भी हैं एक जनसंपर्क दौरे के दौरान विनायकपुर में उन्होंने कहा था कि अगर ग्रामीणों कोई भी आपत्ति है सड़क चौड़ीकरण में तो बस्ती छोड़कर चौड़ीकरण किया जाएगा लेकिन ग्रामीणों ने एक सुर में सड़क चौड़ीकरण को अनुमति दी थी उसके लिए बाकायदा ग्राम सभा में अनुमोदन भी किया गया था।
पुराने रोड के नक्शा के अनुसार क्यों सड़क नहीं बनाया जा रहा
पूर्व जनपद सदस्य एवं गौठान समिति के अध्यक्ष दिनेश्वर चंद्राकर का कहना है कि पूर्व में 60 फीट पीडब्ल्यूडी द्वारा अधिग्रहण किया गया है आखिर पीडब्ल्यूडी विभाग अपने जगह पर सड़क बनाएं जो मुआवजा के दायरे में है उन्हें मुआवजा दिया जाए लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग खुद असमंजस की स्थिति में है जिसके चलते विकास कार्य प्रभावित हो रहा है।
बिना रोडमेप के चौड़ीकरण, नियमानुसार ही नही सड़क चौड़ीकरण
13 किलोमीटर तक बन रही अंडा से निकुम मार्ग में केवल विनायकपुर बस्ती में ही समस्या हो रही है जिसके चलते सड़क चौड़ीकरण अधूरा हो गया है अब अधिकारी जितना जगह मिल रहा है उतने में ही बनाएंगे कह कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। कई मौके पर पीडब्ल्यूडी अधिकारी भी प्रभावितों का मकान तोड़ने के लिए ग्रामीणों को डराते धमकाते भी है जिसके चलते ग्रामीणों का गुस्सा भी सातवें आसमान पर है।
गांव के उपसरपंच सत्यिकी देवांगन का कहना है कि किसी भी सरकारी निर्माण कार्य से पहले रोडमैप तैयार किया जाता है रोड बनने का कार्य प्रस्तावित हुआ होगा तो क्या राजस्व विभाग के अधिकारियों को सूचना नहीं दी गई अगर उन्हें सूचना दी जाती है तो मुआवजा का प्रकरण राजस्व विभाग तैयार करता यहां तो केवल पटवारी के भरोसे पूरा राजस्व महकमा चल रहा है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी नोटिस देने पहुंच रहे हैं। रोडमैप तैयार किया जाता तो इस तरीके की समस्या का सामना करना ही नहीं पड़ता लोग अपनी जमीन देने को तैयार है लेकिन प्रशासन ही मूकदर्शक बना बैठा है।