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सामाजिक बहिष्कार मामले पर सिन्हा समाज के पदाधिकारियों को नहीं मिली जमानत पढ़े पूरी खबर

खोमेंद्र @ दुर्ग

प्रार्थी महेश कुमार सिन्हा द्वारा दुर्ग न्यायालय में एक परिवाद पत्र अंतर्गत धारा 156 ( 3 ) दंड प्रक्रिया संहिता 1973 सिन्हा समाज के पदाधिकारियों के विरूद्ध पेश किया गया था । जिसमे उनके द्वारा अंतरजातीय विवाह करने पश्चात कृष्णा सिन्हा, अरुण सिन्हा, टेकराम सिन्हा, बिसत राम सिन्हा व महेंद्र कुमार सिन्हा द्वारा उनके अंतरजातीय विवाह पर आपत्ति व अपमानित करते हुए समाज से बहिष्कृत कर दिया जाना भी समाज में प्रचारित किया गया था। आरोपीगण द्वारा प्रार्थी का अंतरजातीय विवाह छ.ग. डडसेना सिन्हा समाज प्रतिबंधित है कहकर सवाल उत्पन्न करते हुये छत्तीसगढ़ डडसेना सिन्हा कलार समाज पंजीयन के 21596 के वास्तविक बाईलॉज में वर्णित उद्देश्यों एवं नियमों के विपरीत अलग से छपवाई गई, समाज की नकली जाली पत्रिका दिखाकर समाज संबंधी नियम कायदों का हवाला देते हुये कुल 21000 रुपये अलग अलग किश्तों में पैसे हड़प लिया गया था । प्रार्थी द्वारा बताया गया कि उसके परिवार में मृत्यु होने पश्चात प्रार्थी को क्रियाकर्म संबंधित उसके कर्तव्यों को निर्वाहन करने में अर्चन डाला जा रहा था, अर्थी से भी दूर रखा जा रहा था एवं पैसे हड़प लिए गए थे । प्रार्थी द्वारा यह भी बताया गया कि उसकी बड़ी बहन के शादी में भी आरोपीगण द्वारा अर्चन डाल पैसे हड़पने हेतु उसे व उसके परिजनों को प्रताड़ित किया जा रहा था । आरोपिगकन द्वारा प्रार्थी के परिवार के सदस्यों व अन्य रिश्तेदारों को फर्जी पत्रिका दिखाकर पैसे हड़पने हेतु लगातार डराया धमकाया जा रहा था । कोर्ट द्वारा आरोपीगण के खिलाफ धारा 384, 471, 447, 506, 34 आई.पी.सी. के तहत प्राथमिकी दर्ज करने हेतु पुलिस को आदेशित किया गया था। जिसपर कृष्णा सिन्हा, अरुण सिन्हा, टेकराम सिन्हा, बिसत राम सिन्हा व महेंद्र कुमार सिन्हा के खिलाफ पुलिस द्वारा एफ. आई. आर. दर्ज किया गया है ।

राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस द्वारा नही किया गया था एफ.आई.आर. दर्ज
प्रार्थी को 2012 में अंतरजातीय विवाह करने पश्चात से पैसे हड़पने हेतु प्रताड़ित किया जा रहा था । जिससे परेशान होकर प्रार्थी द्वारा आरोपीगण के विरुद्ध पद्भनाभपुर चौकी में शिकायत पत्र भी दिया था परंतु पुलिस द्वारा कलार समाज के प्रमुखों के वोटबैंक की राजनीति, राजनैतिक पकड़ व राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस द्वारा आरोपीगण के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के बजाय आरोपीगण को सही ठहरा दिया गया था । सामाजिक पदाधिकारीयों के खिलाफ कोर्ट जाने वालों एवं गवाही देने वाले व्यक्तियों को भी प्रताड़ित व भयभीत करने हेतु फर्जी पत्रिका का इस्तेमाल किया जाता रहा है ।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किया गया दिशा निर्देश
अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को शासन द्वारा संरक्षण देने हेतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा “शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया” में दिशा निर्देश दिया गया है जिसमे प्रताड़ित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ धारा 503, 506 IPC सहित धारा 151 CrPC के तहत प्रतिबधमक कार्यवाही करने हेतु कार्यपालक अधिकारी व पुलिस को कार्यवाही करने आदेशित व निर्देशित किया गया है ।पुलिस या कार्यपालक अड़गिकारी द्वारा आवश्यक कार्यवाही नही किये जाने की स्थिति में शासन को ऐसे पुलिस /कार्यपालक अधिकारी के विरूद्ध अनुशासमक कार्यवाही करने हेतु भी दिशा निर्देश किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शासन को अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ो को पुलिस सुरक्षा देने हेतु साथ ही साथ सेफ हाउस का निर्माण किये जाने हेतु भी दिशा निर्देश दिए गए हैं ।

सामाजिक पदाधिकारियों की जमानत याचिका खारिज
एफ.आई.आर. दर्ज होने पश्चात सभी आरोपीगण फरार हो गए थे एवं अपने अधिवक्ता में माध्यम से न्यायालय के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका प्रस्तूत कर कोर्ट से जमानत हेतु अर्जी दिया थे । कोर्ट द्वारा फर्जी पत्रिका से पैसे हड़पने की प्रक्रिया में आरोपीगण के संलिप्तता को प्रथम दृष्टया दर्शित होना बताया जाकर आरोपिगण की जमानत याचिका खारिज कर दिया गया था । जिसके पश्चात से आरोपीगण का कोई अता-पता नही है।

एक मानव समाज संस्था द्वारा निभाई गई अहम भूमिका
पुलिस विभाग में शिकायत होने पश्चात प्रार्थी द्वारा आरोपीगण सामाजिक पदाधिकारियों द्वारा पैसे हड़पने के उद्देश्य से लगातार प्रताड़ित किये जाने पर एक मानव समाज समाज से मदद हेतु गुहार लगाई गई थी । जिसपर संस्था के अध्यक्ष सुबोध देव द्वारा दुर्ग न्यायालय के अधिवक्ता रविश कुमार राजपूत सहित संस्था के विधिक सलाहकार अधिवक्ता शिखर परगनिहा को प्रार्थी की मदद हेतु मार्गदर्शन दिए जाने हेतु कहा गया था । नालसा में भी शिकायत किया गया था ।

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Author: dhaaranews

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