Gulab @ दुर्ग ग्रामीण
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के कैंडिडेट से ज्यादा नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पर है , विधानसभा चुनाव 2023 में खेल बिगाड़ने में रिसामा के युवा किसान नेता ढालेश साहू आगे रह सकते हैं।
पिछली बार जनता कांग्रेस के प्रत्याशी व खेरथा विधानसभा के पूर्व विधायक बालमुकुंद देवांगन व निर्दलीय और कुर्मी समाज के समर्थित प्रत्याशी ,कांग्रेस से बागी चुम्मन देशमुख ने कोई खास प्रभाव नहीं डाला। नतीजतन वर्तमान मंत्री ताम्रध्वज साहू 27000 वोटो से विजयी हुए।
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा में अब तक तीन चुनाव हुए हैं जिसमें दो बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी को सफलता मिली है। यहां निर्दलीय प्रत्याशियों की भी बयार आती है लेकिन किसी ने भी अंधाधुंध प्रदर्शन नहीं किया है।
लेकिन इस बार क्षेत्र की जनता युवा चेहरे को भी तलाश रही है कांग्रेस में जहां तक मंत्री ताम्रध्वज साहू की टिकट फिर से रिपीट हो सकती है। तो वहीं भाजपा में कौन चुनाव लड़ेगा इस पर संशय बरकरार है।
जनता कांग्रेस और स्वाभिमान मंच सहमति से उतार सकती है प्रत्याशी
जनता कांग्रेस (जोगी) के जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र बंजारे ने कुछ दिन पूर्व कार्यकारिणी का विस्तार किया है। तो वही छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के बैनर तले सक्रिय रहे किसान नेता ढालेश साहू ने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने हामी भरी है और इसके संकेत भी दिए हैं।
क्षेत्र के विधायक और सूबे के मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपने विरोधी के तौर पर कई मंचों पर ढालेश साहू का नाम लेते रहें हैं और उन पर टिका टिप्पणी भी करते आए हैं जिसका परिणाम यह रहा है कि ढालेश साहू आज विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक भी हैं। उन्होंने इसी वर्ष भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत को भी अपने गांव रिसामा में बुलाया था । ढालेश साहू समाज के पदाधिकारी भी हैं।
क्या कहते हैं चुनाव लड़ने के सवाल पर ढालेश
वह कहते हैं कि उन्होंने पात्रों के आवास योजना सहित सड़क निर्माण में प्रभावित लोगों की आवाज उठाई है, वृद्धा एवं विधवा महिलाओं के पेंशन जैसे संवेदनशील मुद्दे से लेकर मनरेगा की जरूरी जानकारी, सेवा सहकारी समितियां में चुनाव करवाने को लेकर तथा किसानों को जबरदस्ती थमाए जा रहे अमानक खाद, लावारिश पशुओं से लेकर कई जनहित के मुद्दे मैं उठाए। इन मुद्दों में लोगों का खूब समर्थन भी मिला आज बड़ी टीम बन गई है लोग चाह रहे हैं कि मैं चुनाव लड़ूं। वैसे भी क्षेत्र की जनता बदलाव चाह रही है। हम जमीनी तौर पर काम कर रहे हैं और इसके लिए एक बड़ी फौज भी तैयार कर रहे हैं विधानसभा लड़ने का तो मन है लेकिन टीम में कई लोगों से राय भी लिया जा रहा है। कई भाजपा, कांग्रेस के नाराज और निराश नेता तथा अन्य दलों के भी लोग मुझसे संपर्क साध रहे हैं। जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा।
आपको बता दें कि दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का चुनाव त्रिकोणी मुकाबला जैसा लगता जरूर है। लेकिन परिणाम में 2 बार कांग्रेस ने तो वहींं 1 बार बीजेपी ने जोर मारा है। वैसे 2013 के बाद से छत्तीसगढ़िया वाद और क्षेत्रीयता ने जोर जरूर पकड़ा है। क्षेत्र में साहू और कुर्मी समाज के वोटर की मुख्य भूमिका रहती है।
अब देखना यह होगा कि ढालेश साहू क्या वाकई में चुनाव लड़ेंगे या किसी और को चुनाव लड़ाएंगे इस पर राजनीतिज्ञों की निगाहें टिकी हुई है।