गुलाब @ दुर्ग
गंजमण्डी दुर्ग में शुक्रवार को आदर्श गौठान का लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया था। मंडी अध्यक्ष अश्वनी साहू व जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष राजेन्द्र साहू के प्रयासों से दुर्ग निगम को मंडी की जमीन मुहैय्या कराई गई है। उक्त लोकार्पण कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे राजेश यादव को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। यह पहली दफा नही है, जब विधायक अरुण वोरा के अलावा निगम के कार्यक्रम में दुसरो को तवज्जो मिली हो। बार बार के उपेक्षा से आहत
सभापति राजेश यादव कार्यक्रम स्थल से वापस लौट आये। वे कमिश्नर को भी खूब खरी-खरी सुनाई। राजेश यादव के इस आक्रामक तेवर की गूंज दूर तलक जा सकती है। इस घटना के बाद दुर्ग नगर निगम की बिसात पर कांग्रेस की स्थानीय सियासत का नवीन समीकरण निर्माण का क्रम आरंभ हो गया है। दुर्ग नगर निगम के सभापति राजेश यादव इस प्रतिष्ठात्मक द्वंद के नए खिलाड़ी बनकर उभरे है। गंजमण्डी प्रांगण में आयोजित उस कार्यक्रम में राजेश यादव के रुख से इस शक्ति संतुलन के संघर्ष को बल मिलते दिखा।
अरुण वोरा के विधायक बनने एवं दुर्ग नगर निगम में कांग्रेस की सत्ता आने के बाद से वोरा गुट का एकतरफा दबदबा रहा है। महापौर धीरज बाकलीवाल व विधायक अरुण वोरा की गलबहियां जगजाहिर है। दोनों नेताओ की बेहतरीन टयूनिंग ने विरोधी गुटों को सरेंडर करने मजबूर कर दिया।
इन हालातों के बीच राजेश यादव जैसे कई पुराने कांग्रेसी गुटबाजी से दूर रहकर अपना कार्य करना चाहते थे। इन नेताओं ने राजनीतिक संतुलन साधने का भरपूर प्रयास भी किया। मगर कहते हैं न, सियासत की मगरीर दुधारी तलवार है। पेंच कहीं भी फंस सकती है।
बहरहाल, निगम के सभापति राजेश यादव भी दुर्ग कांग्रेस की हालिया गतिविधियों पर अपने स्वाभिमान की बलि नही देना चाहते। यह तीसरा चुनाव अरुण वोरा के लिए इतना अहम है कि राजेश यादव जैसे जमीनी नेताओ की जरूरत उन्हें पड़ेगी ही।
सुदीर्घ राजनीतिक अनुभव व समझ..
राजेश यादव उस जमाने के कांग्रेस नेता है जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व दुर्ग विधायक अरूण वोरा ने सियासी पायदान पर कदम रखा था। नेताद्वय से महज कदम भर पीछे पग बढ़ा रहे राजेश यादव को सुदीर्घ राजनीतिक अनुभव व समझ है। कांग्रेस के धुरंधर नेता विद्याचरण शुक्ल से लेकर मोतीलाल वोरा व रामानुजलाल यादव से राजनीतिक ककहरा सीखने वाले राजेश यादव बीच के दरमियां में सियासी हाशिये पर चले गए थे। किंतु छत्तीसगढ़ की मुख्य सियासत में भूपेश बघेल के अभ्युदय ने नए सिरे से राजनीतिक समीकरण का खाका खींचा ,और राजेश यादव उसमें फिट बैठ गए।
नेपोटिज्म की राजनीति हो रहा खारिज…
कई दशकों से दुर्ग की कांग्रेसी राजनीति वोरा परिवार के इर्दगिर्द ही घूमते आ रही है। नए युग मे जब नेपोटिज्म को राजनीति में खारिज किया जा रहा है, तब दुर्ग में भी कांग्रेस को नए विकल्पों की तलाश लाजिमी है। नेपोटिज्म ( वंशवाद) के चलते बरसो से दुर्ग में कांग्रेस की अनेक प्रतिभावान नेतृत्व किनारे लग गए। आज पार्टी को उसका खामियाजा भी उठाना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस तथ्य से भलीभांति वाकिफ हैं। प्रदेश नेतृत्व राजेश यादव को एक जनाधार वाले नेता के रूप में देखता है।