जिस लोकतंत्र के त्यौहार का ढिंढोरा दुर्ग जिला प्रशासन पीट रही है वह सिर्फ दिखावा नजर आ रहा है लोगों को मतदान से वंचित करने का काम किसने किया है यह अभी यक्ष प्रश्न हो गया है। जगह-जगह आदर्श मतदान केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम ही गायब हो जाए तो इस आदर्श मतदान केंद्र का आदर्श पर ही सवाल उठ रहा है। खबर मिल रही है कि दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के कई गांव में वोटर सूची में नाम ही उपलब्ध नहीं है जबकि इसके पिछले चुनाव में व्यक्तियों ने वोट डाले थे उसके बावजूद नाम नहीं उपलब्ध होने से कई मतदाता वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
आखिर लोकतंत्र के त्यौहार में क्या उन्हें त्यौहार मनाने का हक नहीं है क्या उन्हें इस वोटिंग के जश्न में सेल्फी लेने का अधिकार नहीं है, सवाल यह भी है कि आखिर पिछले चुनाव में वोट डालने वालों का वोटर लिस्ट में नाम गायब करने वाला अधिकारी, कर्मचारी कौन है क्या यह जांच का विषय नहीं है।
दुर्ग जिला प्रशासन इन मतदाताओं के अधिकारों और कर्तव्यों के लिए क्या कोई समुचित व्यवस्था करेगी इस पर बड़ा शंसय है। दरअसल में आम आदमी मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन देखने नहीं पहुंचते जिसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं।फिलहाल खबर लिखे जाने तक लोग नाम खोज-खोज कर परेशान है प्रत्येक केंद्र में 10 से ज्यादा नाम की गायब होने की सूचना है।