दुर्ग लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने दमखम लगाना शुरू कर दिया है। बीजेपी की टीम कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने की होड़ में लगी हुई है, कांग्रेस पार्टी के सत्ता में नहीं होने का नुकसान और नाराजगी के चलते कई कार्यकर्ता बीजेपी में जरूर शामिल हो रहे हैं। जिससे विजय बघेल को फायदा होता दिखाई देता है।
लेकिन अंदरूनी इलाकों में धारा न्यूज़ के रिसर्च में राजेंद्र साहू भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं, इसका सबसे प्रमुख कारण है भाजपा विधायकों की परफॉर्मेंस बीते चार महीनों में बेहद ही निराशाजनक है। एक दो विधायकों से ही लोग थोड़ा खुश जरूर हैं लेकिन अपर्याप्त है।
बीजेपी के कार्यकर्ता दबी जुबान से यह कहते भी है कि सांसद से ज्यादा उम्मीद विधायक से रहती है और इन चार महीनो में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने जो सोचा था वैसा कुछ भी नहीं हो रहा है उनके काम हो नहीं रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री क्यों नहीं बन पाए विजय बघेल
भारतीय जनता पार्टी सत्ता में बैठी है कैडर बेस पार्टी होने के कारण उठती हुई आवाज दब जाती है और भला सत्तासीनो से आखिर पंगा कौन ले?
भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ता इस बात को लेकर संशय में है कि क्या विजय बघेल इस बार केंद्रीय मंत्री बनेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन 400 पार का यदि आंकड़ा प्राप्त किया जाता है तो क्या विजय बघेल को कोई पद मिल पाएगा पद का अर्थ केंद्रीय मंत्री से ही है।
पिछली बार 9 लोकसभा सीट मिलने के बाद रेणुका सिंह को पद जरूर दिया गया लेकिन छत्तीसगढ़ की जनता की अपेक्षा में ऊंट के मुंह में जीरा के समान था।
कांग्रेस के लोग बीजेपी में शामिल हो रहे हैं इधर भाजपा कार्यकर्ता की अहमियत पर सवाल
बीते 4 महीने में भाजपा विधायक भाजपा की कार्यकर्ताओं की नहीं सुन रहे हैं उनकी थानों में सुनवाई है ना तहसीलों में, जनपद और जिलों में नहीं नगर इकाइयों में भाजपा के कार्यकर्ता यह आरोप भी लगाते हैं कि कांग्रेसियों का काम हो रहा है और उनका नहीं?
कार्यकर्ता संगठन के बैठकों में आते हैं लेकिन मन मसोस कर जाते हैं। कुछ जानकार बताते हैं कि इस लोकसभा के कुछ जिला अध्यक्ष अपने विधानसभा प्रत्याशी के विरुद्ध भी कार्य किए थे जिनका असर अभी तक जारी है।
25 लोग शामिल होते हैं तो हजार लोग बताया जाता है मीडिया भी उसे उसी तरीके से छाप देती है ना उसका क्रॉस वेरिफिकेशन होता है ना प्रमुख समाचार समूह उन खबरों का कोई साक्ष्य जुटाता है और ना ही उनसे कोई सरोकार है।
अंदर ही अंदर सुलग रही आग
इन खबरों को पढ़कर शायद आपको यकीन नहीं होगा लेकिन भारतीय जनता पार्टी में जितने लोग शामिल हो रहे हैं परिवार बढ़ रहा है उतना ही विद्वेष पैदा हो रहा है, भाजपा यह कैंपेन ही चला रही है की प्रत्याशी कौन है भूल जाओ ऐसा समझो कि मोदी हर सीट पर खड़ा है इससे उस प्रत्याशी के व्यक्तित्व पर सवाल खड़ा हो रहा है बीजेपी के अंतिम छोर का कार्यकर्ता और अटल बिहारी वाजपेई के जमाने का कार्यकर्ता यह सोच रहा है कि क्या यह लोकतंत्र है? यह भी सोच लिया है कि आखिर विजय बघेल ने किया क्या है भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता कांग्रेस में नही जा रहा, लेकिन अंदर ही अंदर जो आग सुलग रही है वह एक दिन विस्फोट में तब्दील हो जाएगी इसका अंदाजा क्षेत्र का विधायक भी नहीं लगा पा रहे है। बीजेपी का कार्यकर्ता यह खुद मानने लगा है कि उसका विधायक औसत परफार्म भी नही कर रहा है। कार्यक्रमों में मदद के लिए विधायकों के हाथ भी नहीं खुल रहे हैं जिससे कार्यकर्ताओं ही नही जनता में भी खूब नाराजगी नहीं है।