Gulab Deshmukh
खबर का हेडिंग देखकर आप चौंक गए होंगे लेकिन ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं है। आगे हम आपको बताने वाले हैं कि कब इन दोनों नेताओं के बीच मुकाबला हुआ था।
वैसे लोकसभा के चुनाव के लिए दुर्ग में कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे को पटखनी देने के लिए तैयार बैठी है। भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद विजय बघेल को पुनः प्रत्याशी घोषित किया है। तो वहीं कांग्रेस ने राजेंद्र साहू पर दांव खेला है। राजेंद्र साहू मूलतः बेमेतरा जिला के रहने वाले हैं लेकिन उन्होंने पहले भी दुर्ग की राजनीति में अपना लोहा मनवाया है। वैसे उन्हें Ex CM भूपेश बघेल के बेहद विश्वसनीय और खास माना जाता है , उनके चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते आए हैं इस बार पार्टी ने भरोसा कर सामाजिक राजनीतिक दृष्टिकोण से राजेंद्र साहू को प्रत्याशी घोषित किया है।
वैसे विजय बघेल पूर्व विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा उनकी पार्टी सत्ता में आई जरूर लेकिन उन्हें कोई बड़ा पद नहीं दिया गया वह इसलिए कि उन्हें पार्टी फिर से लोकसभा लड़ाना चाहती थी। जिस कारण चुनाव दिलचश्प हो गया।
जिला पंचायत के उप चुनाव में राजेंद्र के रणनीतिक कौशल से ही मिली जीत
आपको याद होगा कि दुर्ग के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव के निधन होने के बाद उपचुनाव हुआ था जिसमें राजेंद्र साहू और विजय बघेल आमने-सामने नजर आए थे। विजय बघेल ने चुनावी सभाएं की लेकिन अपने प्रत्याशी को चुनाव जीताने में नाकाम रहे थे तो वही उपचुनाव में मिली जिम्मेदारी को निभाते हुए राजेंद्र साहू ने रणनीति कौशल से कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी रही लक्ष्मी साहू को उक्त उपचुनाव में खासे अंतरो से जीत दिलाई।
इस मुकाबले के समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी क्षेत्र के विधायक गृह मंत्री थे लेकिन चुनाव बेहद ही कठिन हो चुका था। प्रत्याशियों के चयन दोनों पार्टियों ने कार्यकर्ताओं की अनुरूप प्रत्याशी नहीं दिया था जिसकी वजह से दोनों पार्टियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को राजेंद्र साहू की चुनाव में आने से संजीवनी मिली जिसकी वजह से उपचुनाव में जीत भी मिली।
देखना अब यह होगा कि दोनों के बीच अब मुकाबला लोकसभा के लिए होना है आखिर कौन बाजी मारेगा इस बात को लेकर मतदाताओं में संशय भरा माहौल बना हुआ है और चौक चौराहों में चर्चा का बाजार गरम है।