क्रिसमस और नए साल के जश्न की तैयारी में कोरोना के बढ़ते मामलों ने खलल डाल दी है। लोग कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 को लेकर दहशत में हैं। हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए वैरिएंट से किसी नई लहर के आने के आसार नहीं हैं।
नई दिल्ली: देश-दुनिया में अचानक कोरोना के मामले बढ़े हैं। कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 को लेकर दहशत है। नए वैरिएंट का आतंक ऐसे समय बढ़ा है जब क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन की तैयारी में लोग जुटे हैं। देश में कल तक (21 दिसंबर) नए वैरिएंट के देशभर में कुल 22 मामले थे। सुकून की बात यह है कि सभी मरीजों में हल्के लक्षण मिले हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई लोग इसे नई लहर भी मान रहे हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स की राय बिल्कुल अलग है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसे चौथी लहर कहना जल्दबाजी होगी। कुछ एक ने तो यह भी कह दिया है कि दो-तीन हफ्ते में सब नॉर्मल हो जाएगा। जेएन.1 से कोई वेव आने की आशंका नहीं है।
नहीं है घबराने की जरूरतकोरोना के नए वेरिएंट JN.1 चिंता जरूर बढ़ाई है। लेकिन, घबराने की जरूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ में वर्गीकृत किया है। यह आखिरी वैरिएंट नहीं है। भारत में जो मरीज जेएन.1 से संक्रमित हुए हैं, उनमें हल्के लक्षण ही मिले हैं।
मुंबई बॉम्बे हॉस्पिटल के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर गौतम भंसाली ने कहा कि बीमारी में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, कोल्ड, कफ, होता है। इसमें भी वैसा ही होने वाला है। लेकिन, असर बहुत कम रहेगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई वेव आने वाली है। हां, थोड़ी बहुत सर्ज हो सकती है कि कभी मालूम पड़े कि मुंबई में दस केस मिल गए। कभी लगेगा पुणे में मिले, केरल में मिले।’
वैक्सीन का बहुत बड़ा रोल
गौतम भंसाली ने कहा कि दो तीन हफ्ते ऐसा चलेगा। फिर नार्मल हो जाएगा। अगर हम पुराना ट्रेंड देखें तो पाएंगे कि ओमिक्रॉन वेव ने पूरी दुनिया को तकलीफ दी थी। उसने जमकर तबाही मचाई थी। लेकिन, भारत में ओमिक्रॉन वेव से अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ी। अभी हालात ये हैं कि काफी ज्यादा लोग बूस्टर डोज ले चुके हैं। इसमें वैक्सीन का बहुत बड़ा रोल है।WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक, सीजनल फ्लू जैसे- इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1 और एच3एन2), एडेनोवायरस, राइनोवायरस और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण होने वाली सांस की बीमारी सीजनल बीमारियों का कारण बन सकती हैं। ये कोविड-19 के लक्षणों की तरह ही हैं। जिन लोगों को सांस की तकलीफ बढ़ जाती है, उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करने की जरूरत है।