गुलाब देशमुख @ दुर्ग ग्रामीण के ग्राउंड से
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा चुनाव में परिणाम क्या होगा इस बात के कयास लोग लगा रहे हैं। लोगों में यह जानने की भारी उत्सुकता है कि इस बार क्या उन्हें नया विधायक मिल रहा है या गृहमंत्री फिर रिपीट हो रहे हैं। पिछले बार के हुए विधानसभा चुनाव और पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से यहां 5 साल में विधायक बदल जाता है इस लिहाज से यहां गहमागहमी वाली स्थिति है।
पहली बार हेड टू हेड मुकाबला
अगर इस क्षेत्र के बारे में गौर करें तो यहां बेहद चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार किसी तीसरे मोर्चे ने कड़ी टक्कर नहीं दी है पहली बार ऐसा हुआ है।
सन 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व बीजेपी के अतिरिक्त कद्दावर नेता व जिला पंचायत के उपाध्यक्ष रहे संजय देशमुख ने लगभग 4300 वोट लिए थे जहां कांग्रेस से प्रतिमा चंद्राकर विजय हुई थी। यहां बीजेपी प्रत्याशी प्रीतपाल बेलचंदन 1500 वोटो से हार गए। यहां बहुजन समाज पार्टी ने भी 5000 वोट हथियाया था।
2013 के विधानसभा चुनाव में प्रतिमा चंद्राकर वर्सेस रमशिला साहू के मुकाबले में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच की प्रत्याशी उर्वशी साहू ने पूरा खेल बिगाड़ दिया था। प्रतिमा चंद्राकर दोबारा विजई हो सकती थी लेकिन बीजेपी की रमशिला साहू ने यहां पर रिसाली क्षेत्र के मतदाताओं की मेहरबानी से लगभग 3000 वोटो से अप्रत्याशित जीत दर्ज कर ली।
अब साल 2018 के चुनाव की बात कर लेते हैं यहां ताम्रध्वज और जागेश्वर साहू मैदान में थे इस बीच में पूर्व विधायक बालमुकुंद देवांगन ने जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़ दिया इस दौरान बालमुकुंद देवांगन ने 11000 से भी ज्यादा और रिसाली के चुम्मन देशमुख ने लगभग 3000 वोट प्रभावित किया। वही जागेश्वर साहू का स्थानीय तौर पर विरोध के बावजूद उन्होंने 49000 वोट हासिल कर लिया । परिणाम स्वरूप ताम्रध्वज साहू 27000 वोट से विजय हो गए।
मंत्री ताम्रध्वज साहू को एक लाख वोट पाना होगा
मंत्री ताम्रध्वज साहू ने 50000 वोटो से जीतने का दावा कर दिया है। 50000 वोट ललित चंद्राकर पार कर लेंगे क्योंकि पुराने चुनाव बताते हैं कि भाजपा 50000 का आंकड़ा छूएगी। इस लिहाज से मंत्री ताम्रध्वज को एक लाख वोट आखिर कैसे मिलेंगे यह भी बड़ा सवाल है। वे अपने पुराने मिले वोटो को ही बरकरार रखें तो ललित चंद्राकर 75 पार होते दिख रहे हैं।
अबकी बार 2023 की विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे में जोगी कांग्रेस,बहुजन समाज पार्टी, जोहार छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रत्याशी मैदान में रहे लेकिन जो मुकाबला है वह प्रमुख तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रही। सर्वे और अनुमान के मुताबिक इस बार निर्दलीय व क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों ने प्रचार प्रसार में जोर-शोर की आजमाइश तो की लेकिन 10000 वोटो का आंकड़ा छूना मुश्किल ही दिख रहा है।
इसलिए इस बार का जो मुकाबला है वह भाजपा कांग्रेस में सीधा दिखाई दे रहा है। भाजपा के संगठन ने ललित के लिए जमकर काम किया है बूथ लेवल पर पंचायत चुनाव के स्तर जैसी तैयारी की गई थी जिसके चलते इस मुकाबले में ललित चंद्राकर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। इसका कारण यह है कि पिछले बार लहर में कांग्रेस को 76000 वोट मिले थे इस बार 80000 वोटो का आंकड़ा पार करना होगा तभी कांग्रेस की जीत सुनिश्चित हो पाएगी।
जिस हिसाब से चुनावी माहौल रहा और मंत्री ताम्रध्वज साहू का सामाजिक विरोध के साथ अन्य कई कारणों के चलते साहू समाज के तीन प्रत्याशी अलग से मैदान में थे। साहू समाज की एक प्रत्याशी लक्ष्मी साहू ने नाम वापस लेकर ललित के पक्ष में प्रचार किया जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं।
हर बूथ में बीजेपी का ग्राफ बढ़ा है !
कांग्रेस के सेक्टर एवं जोन प्रभारी सहित कई कांग्रेसियों ने मंत्री निवास में हुई बैठक में मंत्री ताम्रध्वज साहू के जीत का दावा किया है सारे लोग अपने बूथ पर 60% से ऊपर वोट का दावा कर रहे हैं इस लिहाज से माने तो मंत्री ताम्रध्वज साहू को लगभग 1 लाख वोट हासिल हो सकता है। क्योंकि मतदान में लगभग 165000 मत पड़े हैं। लेकिन जमीन पर वह यह भी मानते हैं कि पिछले चुनाव के मुताबिक इस बार भाजपा का ग्राफ बढ़ा है। कई बूथों में कांग्रेस को नुकसान हुआ है और भाजपा का ग्राफ बढ़ा है ऐसे में 80000 वोटो का जादुई आंकड़ा छु पाना मंत्री ताम्रध्वज साहू के लिए संभव दिखाई नहीं दे रहा है। वे अपना पुराना 76000 वोट बरकरार रख पाएंगे या नहीं इस पर भी बड़ा संशय है।
अनुमान के मुताबिक करोड़ रुपयों के लग चुके हैं शर्त
चुनावी माहौल में अपने-अपने दावे हैं इसके बीच कई लोग क्षेत्र में शर्त लगा रहे हैं और यह शर्त लगभग करोड रुपए से ऊपर का पहुंच चुका है अधिकतर लोग बीजेपी के जीत का दावा कर रहे हैं तो वही ताम्रध्वज साहू के कॉन्फिडेंस के चलते हैं कार्यकर्ताओं में भी भारी कॉन्फिडेंस है। बहरहाल 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आएंगे इतना तो कहा ही जा सकता है कि जीतने वाले को जीत पर यकीन नहीं होगा और हारने वालों को अपने हार पर।