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ईरान के बहुत बड़े ‘खेल’ का खुलासा, दुश्मनों को युद्ध में फंसाकर गुपचुप बना रहा परमाणु बम!

ईरान अत्याधिक समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन तेजी से कर रहा है। इस तरह से यूरेनियम का इस्तेमाल कम क्षमता वाले परमाणु बम बनाने के लिए किया जा सकता है। आईएईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ईरान अपने दो परमाणु संयंत्रों से 60% तक यूरेनियम को समृद्ध कर रहा है।

तेहरान: ईरान अपने दु्श्मनों इजरायल और अमेरिका को युद्ध में फंसाकर गुपचुप परमाणु बम बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए जरूरी अत्याधिक समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन बढ़ा दिया है। ईरान की इस चाल का खुलासा खुद संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानीकर्ता एजेंसी ने किया है। ईरान वर्तमान में नटानज़ कॉम्प्लेक्स में अपने पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र (पीएफईपी) और फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र (एफएफईपी) में 60% तक यूरेनियम को समृद्ध कर रहा है, जो हथियारों के लिए आवश्यक 90% तक पहुंच रहा है। अगर ईरान परमाणु बम बनाने में कामयाब हो जाता है, तो वह ऐसी क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का दूसरा मुस्लिम देश बन जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने रिपोर्ट में कहा कि ईरान ने 2023 के मध्य से पिछली उत्पादन कटौती को उलटते हुए, अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम के अपने उत्पादन में वृद्धि की है।” इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका ने चिंता जताई है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने फॉक्स न्यूज डिजिटल को बताया कि वे आईएईए की रिपोर्ट से बहुत चिंतित हैं। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि ईरान के पास “60% तक यूरेनियम संवर्धन के लिए कोई विश्वसनीय कारण भी नहीं है, क्योंकि बिजली उत्पादन वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में इतनी समृद्ध यूरेनियम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने जताई चिंता

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “ईरान की परमाणु वृद्धि ऐसे समय में और भी अधिक चिंताजनक है जब ईरान के साथ-साथ ईरान समर्थित आतंकवादी समूह और ईरान की मिलिशिया क्षेत्र में अपनी खतरनाक और अस्थिर करने वाली गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। इसमें इराक में अमेरिकी कर्मियों के खिलाफ ताजातरीन ड्रोन हमला, लाल सागर में कॉमर्शियल जहाजों के खिलाफ हूती विद्रोहियों के हमले और साथ ही हिंद महासागर में एक टैंकर के खिलाफ ईरान का सशस्त्र ड्रोन हमला शामिल है।”

जून के बाद से तेजी से यूरेनियम उत्पादन कर रहा ईरान

विदेश विभाग ने कहा कि ईरान को आईएईए के साथ पूर्ण सहयोग करना चाहिए ताकि उसकी परमाणु गतिविधियों को सत्यापित किया जा सके और सुनिश्चित किया जा सके कि परमाणु सामग्री का कोई दुरुपयोग न हो। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था ने कहा कि उसके निरीक्षकों ने नवंबर के अंत से ईरान की परमाणु फैसिलिटीज में उत्पादन की बढ़ी हुई दर को लगभग 9 किलोग्राम प्रति माह तक सत्यापित किया है, जो जून के बाद से प्रति माह 3 किलोग्राम से अधिक है और उत्पादन के पहले के स्तर पर वापसी की ओर इशारा करती है।

यूरेनियम को समृद्ध करना क्यों जरूरी

यूरेनियम को समृद्ध करने का अर्थ है यूरेनियम-235 का प्रतिशत बढ़ाना, जिससे यूरेनियम का आइसोटोप का उपयोग परमाणु विखंडन में किया जा सकता है। परमाणु हथियारों के लिए 90% शुद्धता वाले यूरेनियम की आवश्यकता होती है, लेकिन ईरान जिस स्तर तक पहुंच गया है वह 2015 के परमाणु समझौते से पहले उत्पादित 20% से कहीं अधिक है, जिसका अर्थ है कि यह देश समझौते के अनिवार्य 3.67% की सीमा को पार कर चुका है। 2016 में अमेरिका के परमाणु समझौते से पीछे हटने और प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान ने सभी शर्तों को तोड़ दिया है।

कितने परमाणु बम बना सकता है ईरान

IAEA की सैद्धांतिक परिभाषा के अनुसार, अगर ईरान ऐसे ही यूरेनियम को समृद्ध करता रहा तो वह तीन परमाणु बम बना सकता है। अगर यूरेनियम के संवर्धन का स्तर कम रखा गया तो बम की संख्या बढ़ सकती है। ईरान परमाणु हथियारों को बनाने के आरोपों से इनकार करता है और कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और उसका एक उद्देश्य कैंसर के इलाज और प्रसार को रोकना है। यह खबर ईरान के विदेश मंत्री की चेतावनी के दो हफ्ते बाद आई है, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि इजरायल गाजा युद्ध के कारण मध्य पूर्व में बड़ा विस्फोट हो सकता है और इसमें और अधिक देश शामिल हो सकते हैं।

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Author: dhaaranews

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